Jaao Hari Nirmohiya Re
स्वार्थ की प्रीति जाओ हरि निरमोहिया रे, जाणी थाँरी प्रीत लगन लगी जब और प्रीत थी, अब कुछ उलटी रीत अमृत पाय जहर क्यूँ दीजे, कौण गाँव की रीत ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरधर नागर, आप गरज के मीत
Mat Kar Moh Tu Hari Bhajan Ko Man Re
भजन महिमा मत कर मोह तू, हरि-भजन को मान रे नयन दिये दरसन करने को, श्रवण दिये सुन ज्ञान रे वदन दिया हरि गुण गाने को, हाथ दिये कर दान रे कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, कंचन निपजत खान रे
Jogiya Kab Re Miloge Aai
मिलने की आतुरता जोगिया, कब रे मिलोगे आई तेरे कारण जोग लियो है, घर-घर अलख जगाई दिवस न भूख, रैन नहिं निंदियाँ, तुम बिन कछु न सुहाई ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मिल कर तपन बुझाई
Man Fula Fula Fire Jagat Main Kaisa Nata Re
असार संसार मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे मात कहै यह पुत्र हमारा, बहन कहै वीर मेरा रे भाई कहै यह भुजा हमारी, नारी कहै नर मेरा रे पेट पकड़ के माता रोवे, बाँह पकड़ के भाई रे लपटि झपटि के तिरिया रोवे, हंस अकेला जाई रे चार गजी चादर मँगवाई, चढ़ा काठ […]
Jo Tum Todo Piya Main Nahi Todu Re
अटूट प्रीति जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा ‘मीराँ’ […]
Moko Kahan Dhundhe Re Bande
आत्मज्ञान मोको कहाँ ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना पर्वत के वास में ना जप ताप में, ना ही योग में, ना मैं व्रत उपवास में कर्म काण्ड में मैं नहीं रहता, ना ही मैं सन्यास में खोज होय साँची मिल जाऊँ, इक पल की ही […]
Pag Ghungaru Bandh Meera Nachi Re
समर्पण पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे
Kou Re Jaiyo Madhupuri Aur
यशोदा का संदेश कोउ रे! जइयो मधुपूरि ओर वहाँ बसत है मेरो लाला सुन्दर नवल किशोर कहियो वाहि अरे नटखट! क्यों आत न इते बहोर मैया बिलखि बिलखि जीवति है, तकत न वाकी ओर माखन सो तेरो हिय लाला, काहे भयो कठोर मैं तो नित तेरो मग जोऊँ, कान्ह बहोर बहोर अपुनो ही सुत करि […]
Fagun Ke Din Char Re Hori Khel Mana Re
आध्यात्मिक होली फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झणकार रे बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे सील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे घट के सब पट खोल दिये हैं, लोक लाज सब […]
Man Ga Tu Madhav Rag Re
चेतावनी मन गा तू माधव राग रे, कर माधव से अनुराग रे कृष्ण भजन को नर तन पाया, यहाँ आय जग में भरमाया छोड़ छोड़ यह माया छाया, श्याम सुधारस पाग रे माधव ही तेरा अपना है, और सभी कोरा सपना है दुनिया से जुड़ना फँसना है, इस बंधन से भाग रे मोह निशा में […]