Bhajo Re Bhaiya Ram Govind Hari
हरि कीर्तन भजो रे भैया राम गोविन्द हरी जप तप साधन कछु नहिं लागत, खरचत नहिं गठरी संतति संपति सुख के कारण, जासे भूल परी कहत ‘कबीर’ राम नहिं जा मुख, ता मुख धुल भरी
Pawan Prem Ram Charan
रामनाम महिमा पावन प्रेम राम-चरन-कमल जनम लाहु परम राम-नाम लेत होत, सुलभ सकल धरम जोग, मख, विवेक, बिरति, वेद-विदित करम करिबे कहुँ कटु कठोर, सुनत मधुर नरम ‘तुलसी’ सुनि, जानि बूझि, भूलहि जनि भरम तेहि प्रभु को होहि, जाहि सबही की सरम
Man Ram Sumar Pachtayega
सत्संग मन राम सुमर पछतायेगा पापी जियरा लोभ करत है, आज काल उठ जायेगा लालच में सब जनम गँवायो, माया भरम लुभायेगा धन जीवन का लोभ न करिये, साथ न कुछ भी जायेगा धरम राज जब लेखा माँगे, क्या मुख उन्हें बतायेगा कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सत्संग से तर जायेगा
Bhaj Man Ram Charan Sukh Dai
भज मन राम-चरण सुखदाई जिहि चरनन ते निकसी सुर-सरि, शंकर-जटा समाई जटा शंकरी नाम पर्यो है, त्रिभुवन तारन आई जिन चरनन की चरन-पादुका, भरत रह्यो लवलाई सोई चरन केवट धोइ लीन्हे, तब हरि नाव चढ़ाई सोई चरन संतन जन सेवत, सदा रहत सुखदाई सोई चरन गौतम ऋषि-नारी, परसि परम पद पाई दंडक वन प्रभु पावन […]
Ram Nam Ke Bina Jagat Main
राम आसरा राम नाम के बिना जगत में, कोई नहीं भाई महल बनाओ बाग लगाओ, वेष हो जैसे छैला इस पिजड़े से प्राण निकल गये, रह गया चाम अकेला तीन मस तक तिरिया रोवे, छठे मास तक भाई जनम जनम तो माता रोवे, कर गयो आस पराई पाँच पचास बराती आये, ले चल ले चल […]
Mero Bhalo Kiya Ram, Apni Bhalai
उदारता मेरो भलो कियो राम, आपनी भलाई मैं तो साईं-द्रोही पै, सेवक- हित साईं रामसो बड़ो है कौन, मोसो कौन छोटो राम सो खरो है कौन, मोसो कौन खोटो लोक कहै रामको, गुलाम हौं कहावौं एतो बड़ो अपराध भौ न मन बावों पाथ-माथे चढे़तृन ‘तुलसी’ ज्यों नीचो बोरत न वारि ताहि जानि आपुसींचो
Ram Bhaja So Hi Jag Main Jita
भजन महिमा राम भजा सोहि जग में जीता हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी, पढ़े भागवत गीता हृदय शुद्ध कीन्हों नहीं तेने, बातों में दिन बीता ज्ञान देव की पूजा कीन्ही, हरि सो किया न प्रीता धन यौवन तो यूँ ही जायगा, अंत समय में रीता कहे ‘कबीर’ काल यों मारे, जैसे हरिण को चीता
Rajan Ram Lakhan Ko Dije
विश्वामित्र की याचना राजन! राम-लखन को दीजै जस रावरो, लाभ बालक को, मुनि सनाथ सब कीजै डरपत हौं, साँचे सनेह बस, सुत प्रभाव बिनु जाने पूछो नाम देव अरु कुलगुरु, तुम भी परम सयाने रिपु दल दलि, मख राखि कुसल अति, अल्प दिननि घर ऐंहैं ‘तुलसिदास’ रघुवंस तिलक की, कविकुल कीरति गेहैं
Ek Ram Bharosa Hi Kali Main
राम भरोसा एक राम भरोसा ही कलि में वर्णाश्रम धर्म न दिखे कहीं, सुख ही छाया सबके मन में दृढ़ इच्छा विषय भोग की ने, कर्म, भक्ति, ज्ञान को नष्ट किया वचनों में ही वैराग्य बचा और वेष ने सबको लूट लिया सच्चे मन से जो जीवन में, रामाश्रित कोई हो पाये भगवान अनुग्रह से […]
Ram Kam Ripu Chap Chadhayo
धनुष भंग राम कामरिपु चाप चढ़ायो मुनिहि पुलक, आनंद नगर, नभ सुरनि निसान बजायो जेहि पिनाक बिनु नाक किये, नृप सबहि विषाद बढ़ायो सोई प्रभु कर परसत टूटयो, मनु शिवशंभु पढ़ायो पहिराई जय माल जानकी, जुबतिन्ह मंगल गायो ‘तुलसी’ सुमन बरसि सुर हरषे, सुजसु तिहूँ पुर छायो