Jay Jayti Jay Raghuvansh Bhushan
श्री राम वन्दना जय जयति जय रघुवंशभूषण राम राजिवलोचनम् त्रैताप खंडन जगत्-मंडन ध्यानगम्य अगोचरम् अद्वैत अविनाशी अनिन्दित, मोक्षप्रद अरि गंजनम् तव शरण भवनिधि-पारदायक, अन्य जगत् विडम्बनम् हे दीन-दारिद के विदारक, दयासिन्धु कृपाकरम हे भक्तजन के राम जीवन-मूल मंगल मंगलम्
Jay Jayati Jay Raghuvansh Bhushan
श्रीराम स्तुति जय जयति जय रघुवंश भूषण, राम राजिव लोचनम् त्रय ताप खण्डन जगत् मण्डन ध्यान गम्य अगोचरम् अद्वैत अविनाशी अनिन्दित, मोद प्रद अरि गंजनम् भव वारिधि के आप तारक, अन्य जगत् विडम्बनम् हे दीन दारिद के विदारक! दयासिन्धु कृपा करम् हे आश्रितों के आप पालक! दु:ख शोक विनाशकम्