Aaj Hari Adbhut Ras Rachayo
रास लीला आज हरि अद्भुत रास रचायो एक ही सुर सब मोहित कीन्हे, मुरली नाद सुनायो अचल चले, चल थकित भये सबम मुनि-जन ध्यान भुलायो चंचल पवन थक्यो नहि डोलत, जमुना उलटि बहायो थकित भयो चंद्रमा सहित मृग, सुधा-समुद्र बढ़ायो ‘सूर’ श्याम गोपिन सुखदायक, लायक दरस दिखायो
Aaju Jugal Var Raas Rachayo
रास लीला आजु जुगल वर रास रचायो, कालिन्दी के कूल री सजनी ब्रह्मा, शिव की मति बौराई, मनसिज के मन सूल री सजनी बिच बिच गोपी श्याम सुशोभित, जनु मुक्ता-मणि माल री सजनी बाजहिं बहु-विधि वाद्य अनूपम, राग रंग ध्वनि मीठी री सजनी भाव भंगि करि नाचहिं गावहिं, उर उमँग्यौ अनुराग री सजनी कटि किंकिनि […]