Pawan Prem Ram Charan
रामनाम महिमा पावन प्रेम राम-चरन-कमल जनम लाहु परम राम-नाम लेत होत, सुलभ सकल धरम जोग, मख, विवेक, बिरति, वेद-विदित करम करिबे कहुँ कटु कठोर, सुनत मधुर नरम ‘तुलसी’ सुनि, जानि बूझि, भूलहि जनि भरम तेहि प्रभु को होहि, जाहि सबही की सरम
Sabse Unchi Prem Sagai
प्रेम का नाता सबसे ऊँची प्रेम सगाई दुर्योधन को मेवा त्याग्यो, साग विदुर घर खाई जूठे फल सबरी के खाये, बहु विधि स्वाद बताई प्रेम के बस नृप सेवा कीन्हीं, आप बने हरि नाई राज सुयज्ञ युधिष्टिर कीन्हों, तामे झूठ उठाई प्रेम के बस पारथ रथ हांक्यो, भूलि गये ठकुराई ऐसी प्रीति बढ़ी वृन्दावन, गोपिन […]
Laga Le Prem Prabhu Se Tu
शरणागति लगाले प्रेम प्रभु से तू, अगर जो मोक्ष चाहता है रचा उसने जगत् सारा, पालता वो ही सबको है वही मालिक है दुनियाँ का, पिता माता विधाता है नहीं पाताल के अंदर, नहीं आकाश के ऊपर सदा वो पास है तेरे, ढूँढने क्यों तू जाता है पड़े जो शरण में उसकी, छोड़ दुनियाँ के […]
Tum Prem Ke Ho Ghanshyam
प्रेमवश प्रभु तुम प्रेम के हो घनश्याम गोपीजन के ऋणी बने तुम, राधा वल्लभ श्याम शबरी के जूँठे फल खाये, सीतापति श्रीराम लंका राज विभीषण पायो, राम भक्ति परिणाम बंधन मुक्त करे निज जन को, जसुमति बाँधे दाम गाढ़ी प्रीत करी ग्वालन संग, यद्यपि पूरम-काम व्यंजन त्याग साग को भोजन, कियो विदुर के ठाम राजसूय […]
Sabse Prem Karo Man Pyare
शरणागति सबसे प्रेम करो मन प्यारे, कोई जाति या वंश द्वेष शत्रुता हो न किसी से, सब ही प्रभु के अंश प्राणों में प्रभु शक्ति न ऐसी,करूँ तुम्हारा ध्यान जड़ता भर दो इस जीवन में, बचे ने कुछ भी ज्ञान मुझसे बड़ा न पापी कोई, मैंने पाप छिपाये प्रायश्चित कर पाऊँ कैसे, समझ नहीं कुछ […]
Prabal Prem Ke Pale Padkar
भक्त के भगवान् प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा अपना मान भले टल जाये, भक्त का मान न टलते देखा जिनके चरण-कमल कमला के, करतल से न निकलते देखा उसको ब्रज करील कुंजन के, कण्टक पथ पर चलते देखा जिनकी केवल कृपा दृष्टि से, सकल सृष्टि को पलते देखा उनको गोकुल […]
Prabhu Se Jo Sachcha Prem Kare
हरि-भक्ति प्रभु से जो सच्चा प्रेम करे, भव-सागर को तर जाते हैं हरिकथा कीर्तन भक्ति करे, अर्पण कर दे सर्वस्व उन्हें हम एक-निष्ठ उनके प्रति हों, प्रभु परम मित्र हो जाते हैं लाक्षागृह हो या चीर-हरण, या युद्ध महाभारत का हो पाण्डव ने उनसे प्रेम किया, वे उनका काम बनाते है हो सख्य-भाव उनसे अपना, […]
Prem Vastra Ke Bicha Panwde
शबरी का प्रेम प्रेम-वस्त्र के बिछा पाँवड़े, अर्घ्य नमन जल देकर निज कुटिया पर लाई प्रभु को, चरण कमल तब धोकर आसन प्रस्तुत कर राघव को, पूजा फिर की शबरी ने चख कर मीठे बेर प्रभु को, भेंट किये भिलनी ने स्वाद सराहा प्रभु ने फल का, प्रेम से भोग लगाया प्रेम-लक्षणा-भक्ति रूप, फल प्रभु […]
Prem Ho To Shri Hari Ka
कृष्ण कीर्तन प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिये जो बने विषयों के प्रेमी उनपे रोना चाहिये दिन बिताया ऐश और आराम में तुमने अगर सदा ही सुमिरन हरि का करके सोना चाहिये मखमली गद्दों पे सोये तुम यहाँ आराम से वास्ते लम्बे सफर के कुछ बिछौना चाहिये छोड़ गफलत को अरे मन, […]