Radha Ju Ke Pran Govardhandhari
राधा प्रेमी स्याम राधा जू के प्रान गोवर्धनधारी तरु-तमाल प्रति कनक लतासी, हरि की प्रान राधिका प्यारी मरकत-मणि सम श्याम छबीलो, कंचन-तन-वृषभानु दुलारी ‘सूरदास’ प्रभु प्रीति परस्पर, जोरी भली बनी बनवारी
Hari Mere Jivan Pran Adhar
प्राणाधार हरि मेरे जीवन प्राण अधार और आसरो है नहीं तुम बिन, तीनूँ लोक मँझार आप बिना मोहि कछु न सुहावै, निरख्यौ सब संसार ‘मीराँ’ कहे मैं दासि रावरी, दीज्यौ मती बिसार
Khelat Fag Pran Dhan Mohan
होली का रंग खेलन फाग प्रानधन मोहन, मेरे द्वारे आयो रे नटवर रूप देखि प्रीतम को, मेरो मन उमगायो रे संग सखा सब छैल-छबीले, लाल गुलाल उड़ायो रे सोहत हाथ कनक-पिचकारी, केसर रंग रँगायो रे ओसर पाइ लई मैं मुरली, काजर नयन लगायो रे सिर चुंदरी ओढ़ाय लाल को, लाली भेष बनायो रे घेरि सखिन […]
Pran Dhan Sundar Shyam Sujan
दर्शन की प्यास प्रानधन! सुन्दर श्याम सुजान छटपटात तुम बिना दिवस निसि, पड़ी तुम्हारी बान कलपत विलपत ही दिन बीतत, निसा नींद नहिं आवै स्वप्न दरसहू भयौ असंभव, कैसे मन सचु पावै अब मत देर करो मनमोहन, दया नैकु हिय धारौ सरस सुधामय दरशन दै निज, उर को ताप निवारौ
Ajahu Na Nikase Pran Kathor
आतुरता अजहुँ न निकसे प्राण कठोर दरसन बिना बहुत दिन बीते, सुन्दर प्रीतम मोर चार प्रहर, चारों युग बीते, भई निराशा घोर अवधि गई अजहूँ नहिं आये, कतहुँ रहे चितचोर कबहुँ नैन, मन -भर नहिं देखे, चितवन तुमरी ओर ‘दादू’ ऐसे आतुर विरहिणि, जैसे चाँद चकोर
Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikale
विनती इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले श्री यमुनाजी का तट हो, स्थान वंशी-वट हो मेरा साँवरा निकट हो, जब प्राण तन से निकलें श्री वृन्दावन का थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो विष्णु-चरण का जल हो, जब प्राण तन से निकलें […]
Ja Rahe Pran Dhan Mathura Ko
मथुरा प्रवास जा रहे प्राणधन मथुरा को राधा रानी हो रही व्यथित, सूझे कुछ भी नहीं उनको अंग अंग हो रहे शिथिल, और नीर भरा नयनों में आर्त देख राधा को प्रियतम, स्वयं दुःखी है मन में प्रिया और प्यारे दोनों की, व्याकुल स्थिति ऐसी दिव्य प्रेम रस की यह महिमा, उपमा कहीं न वैसी […]
Jo Pran Tyage Dharma Hit
प्राणोत्सर्ग जो प्राण त्यागे धर्म हित, वह सद्गति को प्राप्त हो सम्राट नामी थे दिलीप, गौ-नन्दिनी भयग्रस्त थी दबोच रक्खा था उसे बली सिंह ने, संकट में थी तब गौ की रक्षा हेतु से, महाराज बोले सिंह को अपनी क्षुधा को शान्त कर, खा ले तूँ मेरी देह को गौ कामधेनु की सुता थी, जिसको […]
Nirbal Ke Pran Pukar Rahe Jagdish Hare
जगदीश स्तवन निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे साँसों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे आकाश हिमालय सागर में, पृथ्वी पाताल चराचर में ये शब्द मधुर गुंजार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे जब दयादृष्टि हो जाती है, जलती खेती हरियाती है इस आस पे जन उच्चार रहे, जगदीश हरे जगदीश […]
Mrig Naini Ko Pran Naval Rasiya
रसिया मृगनैनी को प्रान नवल रसिया, मृगनैनी बड़ि-बड़ि अखिंयन कजरा सोहे, टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया अतलस को याकें लहेंगा सोहे, प्यारी झुमक मेरे मन बसिया छोटी अंगुरिन मुँदरी सोहे, बीच में आरसी मन बसिया बाँह बड़ो बाजूबन्द सोहे, हियरे में हार दीपत छतिया ‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखत, सबै छोड़ ब्रज में बसिया रंग […]