Ab To Pragat Bhai Jag Jani
प्रेमानुभूति अब तो पगट भई जग जानी वा मोहन सों प्रीति निरंतर, क्यों निबहेगी छानी कहा करौं वह सुंदर मूरति, नयननि माँझि समानी निकसत नाहिं बहुत पचिहारी, रोम-रोम उरझानी अब कैसे निर्वारि जाति है, मिल्यो दूध ज्यौं पानी ‘सूरदास’ प्रभु अंतरजामी, उर अंतर की जानी
Pragat Bhai Sobha Tribhuwan Ki
राधा प्राकट्य प्रगट भई सोभा त्रिभुवन की, श्रीवृषभानु गोप के आई अद्भुत रूप देखि ब्रजबनिता, रीझि – रीझि के लेत बलाई नहिं कमला न शची, रति, रंभा, उपमा उर न समाई जा हित प्रगट भए ब्रजभूषन, धन्य पिता, धनि माई जुग-जुग राज करौ दोऊ जन, इत तुम, उत नँदराई उनके मनमोहन, इत राधा, ‘सूरदास’ बलि […]
Prabhu Ne Vedon Ko Pragat Kiya
चतुर्वेद महिमा प्रभु ने वेदों को प्रगट किया भगवान् व्यास ने वेदों को देकर हम पर उपकार किया ऋग्वेद के द्वारा निस्संदेह, विज्ञान सृष्टि को जान सके हम यजुर्वेद का मनन करें, क्या अन्तरिक्ष पहचान सके हम सामवेद का छन्द पढ़ें, ब्रह्मोपासना सुलभ बने हो अथर्ववेद का पारायण, तो स्वास्थ्य हमारा भला बने जो शिरोभाग […]