Ja Par Dinanath Dhare
हरि कृपा जा पर दीनानाथ ढरै सोइ कुलीन, बड़ो सुन्दर सोई, जा पर कृपा करै रंक सो कौन सुदामा हूँ ते, आप समान करै अधिक कुरूप कौन कुबिजा ते, हरि पति पाइ तरै अधम है कौन अजामिल हूँ ते, जम तहँ जात डरै ‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, फिरि फिरि जठर परै
Rath Par Rajat Sundar Jori
रथयात्रा रथ पर राजत सुन्दर जोरी श्री घनश्याम लाड़िलो सुन्दर, श्रीराधाजू गोरी चपल तुरंत चलत धरणी पर, भयो कुलाहल भारी आस पास युवतीजन गावत, देत परस्पर तारी व्योम विमान भीर भई सुर-मुनि, जय जय शब्द उचारी ‘सूरदास’ गोकुल के वासी, बानिक पर बलिहारी
Are Man Kar Prabhu Par Vishvas
प्रभु का भरोसा अरे मन कर प्रभु पर विश्वास भटक रहा क्यों इधर-उधर तूँ, झूठे सुख की आस सुन्दर देह सुहावनि नारी, सब विधि भोग-विलास क्या पाया घरबार पुत्र से, मिटी न यम की त्रास क्षण-भङ्गुर सब भोग निरंतर, बने काल के ग्रास मिले परम सुख, घटे कभी नहिं, जिनके मन विश्वास
Anguli Par Dhar Giriraj
गिरिधारी अँगुली पर धर गिरिराज नाम गिरधारी पायो है बन्द हुयो सुरपति पूजन, गिरिराज पुजायो है सवा लाख मण सामग्री को, भोग लगायो है पड़ी स्वर्ग में खबर, क्रोध शचीपति को आयो है मूसलधार अपार बहुत ही, जल बरसायो है पड़ी न ब्रज पर बूँद, इन्द्र मन में घबरायो है ब्रजवासी सब कहें श्याम, गिरिराज […]
Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par
नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार
Kaliya Nag Par Nratya Kiya
कालिया नाग का उद्धार कालिया-नाग पर नृत्य किया, साँवरिया का यह अभिनय था यमुना जल विष की गर्मी से, दिन रात खौलता रहता था कालिय-दह में हरि कूद गये, निडर हो उसमें खेल रहे भय से मूर्छित सब ग्वाल-बाल, अपनी पीड़ा को किसे कहें जीवन सर्वस्व गोपियों के, उनको कालिय ने जकड़ लिया फिर तो […]
Kutiya Par Raghav Aaye To Shabari
शबरी का प्रेम कुटिया पर राघव आये तो, शबरी की साधना पूर्ण हुई तन मन की सुधि वह भूल गई, प्रभु के चरणों में लिपट गई आसन देकर वह रघुवर को, छबड़ी में बेरों को लाई चख चख कर मीठे बेर तभी, राघव को दे मन हर्षाई यह स्नेह देख कर शबरी का, निज माँ […]
Dhara Par Pragte Palanhar
श्रीकृष्ण प्राकट्य धरा पर प्रगटे पालनहार, बिरज में आनँद छायो रे पीत पताका घर घर फहरे, मंगल गान हर्ष की लहरें गूँजे पायल की झंकार, विरज में आनँद छायो रे नर-नारी नाचे गोकुल में, मात यशोदा बलि बलि जाए द्वारे भीर गोप-गोपिन की, बिरज में आनंद छायो रे दान दे रहे नंद जसोदा, माणिक मोती […]
Prathvi Par Atyacharon Ka
प्रभु प्राकट्य पृथ्वी पर अत्याचारों का, है लग जाता अम्बार जभी मंगलमय जो है परब्रह्म, विष्णु लेते अवतार तभी पुरुषोत्तम श्रीमन् नारायण, हैं परमानन्द स्वरूप आप स्थापित करते पुनः धर्म, साधु सन्तों का हरें ताप कछुवा, वराह, हयग्रीव, मत्स्य का रूप धरे वे ही आते संहार करें वे असुरों का, पृथ्वी का भार वही हरते […]
Vanshi Vat Jamuna Ke Tat Par
होली वंशी-वट जमुना के तट पर, श्याम राधिका खेले होरी ग्वाल-बाल संग में गिरिधारी, सज आई बृजभानु दुलारी संग लिये ब्रजवाल, खेल रहे होरी पिचकारी भर रंग चलावैं, भर भर मूठ गुलाल उड़ावैं धरा गगन भये लाल, खेल रहे होरी केसर कुंकुम और अरगजा, मलै परस्पर श्याम भानुजा बाढ्यो प्रेम विशाल, खेल रहे होरी लाल […]