Nirkhi Syam Haldhar Musukane
यमलार्जुन उद्धार निरखि स्याम हलधर मुसुकाने को बाँधै, को छोरै इन कौं, यह महिमा येई पै जाने उत्पति, प्रलय करत हैं जेई, सेष सहस मुख सुजस बखाने जमलार्जुन –तरु तोरि उधारन, पारन करन आपु मन माने असुर सँहारन, भक्तनि तारन, पावन पतित कहावत बाने ‘सूरदास’ प्रभु भाव-भक्ति के, अति हित जसुमति हाथ बिकाने
Nainan Nirkhi Syam Swarup
विराट स्वरूप नैनन निरखि स्याम-स्वरूप रह्यौ घट-घट व्यापि सोई, जोति-रूप अनूप चरन सातों लोक जाके, सीस है आकास सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, पावक, ‘सूर’ तासु प्रकास