Khelat Gupal Nav Sakhin Sang
होली खेलत गुपाल नव सखिन संग, अंबर में छायो रंग रंग बाजत बेनु डफ और चंग, कोकिला कुहुक भरती उमंग केसर कुमकुम चंदन सुंगध, तन मन सुध बिसरी युवति वृंद कोइ निरखत है लोचन अघाय,लीनो लपेटि आनंदकंद झोरी भर-भर डारत गुलाल, मन में छाई भारी तरंग
Nav Se Kar Do Ganga Paar
केवट का मनोभाव नाव से कर दो गंगा पार भाग्यवान् मैं हूँ निषाद प्रभु लेऊ चरण पखार जब प्रभु देने लगे मुद्रिका जो केवट का नेग बोला केवट प्रभु दोनों की जाति ही भी तो एक चरण कमल के आश्रित हूँ प्रभु करो न लोकाचार भवसागर के आप हो केवट करना मुझको पार