Khambha Fadke Pragate Narhari
नरसिंह रूप खम्भ फाड़के प्रगटे नरहरि, अपनों भक्त उबार्यो दैत्यराज हिरणाकशिपु को, नखते उदर विदार्यो नरसिंहरूप धर्यो श्रीहरि ने, धरणी भार उतार्यो जय-जयकार भयो पृथ्वी पे, सुर नर सबहिं निहार्यो कमला निकट न आवे, ऐसो रूप कबहुँ नहीं धार्यो चूमत अरु चाटत प्रह्लाद को, तुरत ही क्रोध निवार्यो राजतिलक दे दियो प्रभु ने, हस्त कमल […]
Narhari Chanchal Hai Mati Meri
भक्ति भाव नरहरि चंचल है मति मेरी, कैसी भगति करूँ मैं तेरी सब घट अंतर रमे निरंतर मैं देखन नहिं जाना गुण सब तोर, मोर सब अवगुण मैं एकहूँ नहीं माना तू मोहिं देखै, हौं तोहि देखूँ, प्रीति परस्पर होई तू मोहिं देखै, तोहि न देखूँ, यह मति सब बुधि खोई तेरा मेरा कछु न […]