Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo
माखन चोरी मैया मोरी मैं नहिं माखन खायौ भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहि पठायौ चार पहर वंशीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयौ मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायौ ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायौ तू जननी मन मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायौ जिय तेरे कछु भेद […]
Tum Bin Pyare Kahun Sukh Nahi
स्वार्थी संसार तुम बिन प्यारे कहुँ सुख नाहीं भटक्यो बहुत स्वाद-रस लम्पट, ठौर ठौर जग माहीं जित देखौं तित स्वारथ ही की निरस पुरानी बातें अतिहि मलिन व्यवहार देखिकै, घृणा आत है तातें जानत भले तुम्हारे बिनु सब, व्यर्थ ही बीतत सांसे ‘हरिचन्द्र’ नहीं टूटत है ये, कठिन मोह की फाँसे
Ye Din Rusibe Ke Nahi
दर्शन की प्यास ये दिन रूसिबै के नाहीं कारी घटा पवन झकझोरै, लता तरुन लपटाहीं दादुर, मोर, चकोर, मधुप, पिक, बोलत अमृत बानी ‘सूरदास’ प्रभु तुमरे दरस बिन, बैरिन रितु नियरानी
Prabhu Ki Satta Hai Kahan Nahi
सर्व शक्तिमान् प्रभु की सत्ता है कहाँ नहीं घट घट वासी, जड़ चेतन में, वे सर्व रूप हैं सत्य सही प्रतिक्षण संसार बदलता है, फिर भी उसमें जो रम जाये जो नित्य प्राप्त परमात्म तत्व, उसका अनुभव नहीं हो पाये स्थित तो प्रभु हैं कहाँ नहीं, पर आवृत बुद्धि हमारी है मन, बुद्धि, इन्द्रियों से […]
Likhi Nahi Pathwat Hain Dwe Bol
विरह व्यथा लिखि नहिं पठवत हैं, द्वै बोल द्वै कौड़ी के कागद मसि कौ, लागत है बहु मोल हम इहि पार, स्याम परले तट, बीच विरह कौ जोर ‘सूरदास’ प्रभु हमरे मिलन कौं, हिरदै कियौ कठोर
Prarabhda Mita Nahi Koi Sake
अमिट प्रारब्ध प्रारब्ध मिटा कोई न सके अपमान अयश या जीत हार, भाग्यानुसार निश्चित आते व्यापारिक घाटा, रोग मृत्यु, इनको हम रोक नहीं पाते विपरीत परिस्थिति आने पर, सत्संग, भजन हो शांति रहे चित में विक्षेप नहीं आये, दृढ़ता व धैर्य से विपद् सहे सुख-दुख तो आते जाते हैं, उनके प्रति समता हो मन में […]
Hari Binu Meet Nahi Kou Tere
प्रबोधन हरि बिनु मीत नहीं कोउ तेरे सुनि मन, कहौं पुकारी तोसौं, भजो गोपालहिं मेरे यह संसार विषय-विष सागर, रहत सदा सब घेरे ‘सूर’ श्याम बिन अंतकाल में, कोई न आवत नेरे
Banshi Sadharan Vadya Nahi
मोहन की मुरली बंशी साधारण वाद्य नहीं प्राणों व साँसों से बजता, अनुपम ऐसा है वाद्य यही जब बंसी बजाते श्रीकृष्ण, आनन्द उसी में भर देते पशु पक्षी भी तब स्थिर हों, सुनने को कान लगा देते अश्चर्य चकित ऋषि-मुनि होते, तब भंग समाधि हो जाती रोमांच गोपियों को होता, घर से तत्काल निकल पड़ती […]
Ghadi Ek Nahi Aavade
विरह व्यथा घड़ी एक नहीं आवड़े, तुम दरशन बिन मोय तुम हो मेरे प्राणजी, किस विधि जीना होय दिवस तो हाय बिता दियो रे, रैन जँवाई सोय जो मैं ऐसो जाणती रे, प्रीति किया दुख होय नगर ढिंढोरो पीटती रे, प्रीति न करियो कोय पंथ निहारूँ डगर बुहारूँ, ऊभी मारग जोय ‘मीराँ’ को प्रभु कब […]
Badhai Se Nahi Phulo Man Main
प्रशंसा बड़ाई से नहिं फूलों मन में ध्यान न रहता जो भी खामियाँ, रहती हैं अपने में काम प्रशंसा का जब होए, समझो कृपा प्रभु की याद रहे कि प्रशंसा तो बस, मीठी घूँट जहर की नहीं लगाओ गले बड़ाई, दूर सदा ही भागो होगी श्लाघा बड़े बनोगे, सपने से तुम जागो