Main Kase Kahun Koi Mane Nahi
पाप कर्म मैं कासे कहूँ कोई माने नहीं बिन हरि नाम जनम है विरथा, शास्त्र पुराण कही पशु को मार यज्ञ में होमे, निज स्वारथ सब ही इक दिन आय अचानक तुमसे, ले बदला ये ही पाप कर्म कर सुख को चाहे, ये कैसे निबहीं कहे ‘कबीर’ कहूँ मैं जो कछु, मानो ठीक वही
Rahna Nahi Des Birana Hai
नश्वर संसार रहना नहीं देस बिराना है यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है यह संसार काँट की बाड़ी, उलझ उलझ मरि जाना है यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है
Bharat Bhai Kapi Se Urin Ham Nahi
कृतज्ञता भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं सौ योजन मर्याद सिन्धु की, लाँघि गयो क्षण माँही लंका-जारि सिया सुधि लायो, गर्व नहीं मन माँही शक्तिबाण लग्यो लछमन के, शोर भयो दल माँही द्रोणगिरि पर्वत ले आयो, भोर होन नहीं पाई अहिरावण की भुजा उखारी, पैठि गयो मठ माँही जो भैया, हनुमत नहीं होते, को […]
Koi Manushya Hai Nich Nahi
भरत-केवट मिलाप कोई मनुष्य है नीच नहीं, भगवान भक्त हो, बड़ा वही श्री भरत मिले केवट से तो, दोनों को ही आनन्द हुआ मालूम हुआ केवट से ही, राघव का उससे प्रेम हुआ तब भरत राम के जैसे ही, छाती से उसको लगा रहे केवट को इतना हर्ष हुआ, आँखों से उसके अश्रु बहे जाति […]
Udho Mohi Braj Bisarat Nahi
ब्रज की याद ऊधौ, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं वृंदावन गोकुल की स्मृति, सघन तृनन की छाहीं प्रात समय माता जसुमति अरु नंद देखि सुख पावत मीठो दधि अरु माखन रोटी, अति हित साथ खवावत गोपी ग्वाल-बाल संग खेलत, सब दिन हँसत सिरात ‘सूरदास’ धनि धनि ब्रजबासी जिनसों हँसत ब्रजनाथ
Ganapati Gaao Re Vigan Nahi Aayega
श्री गणेश स्तुति गणपति गाओ रे, विघन नहीं आयगा सिद्धि सदन सुर-नर-मुनि वंदित, करता भरता रे, विघन नहीं आएगा ब्रह्मा, विष्णु, महेश तुम्हीं हो, संकट हरता रे, विघन नहीं आयगा कोटि सूर्य सम प्रभा तुम्हारी, बुद्धि प्रदाता रे, विघन नहीं आयगा शंकर-सुवन, पार्वती-नंदन, आनँद मनाओ रे, विघन नहीं आयगा जो जन सुमिरन करे तिहारो, भय […]
Kahu Ke Kul Hari Nahi Vicharat
भक्त के प्रति काहू के कुल हरि नाहिं विचारत अविगत की गति कही न परति है, व्याध अजामिल तारत कौन जाति अरु पाँति विदुर की, ताही के हरि आवत भोजन करत माँगि घर उनके, राज मान मद टारत ऐसे जनम करम के ओछे, ओछनि ते व्यौहारत यह स्वभाव ‘सूर’ के हरि कौ, भगत-बछल मन पारत
Jab Haar Kisi Ke Hath Nahi
समदृष्टि जय हार किसी के हाथ नहीं जब विजय प्राप्त हो अपने को, ले श्रेय स्वयं यह ठीक नहीं हम तो केवल कठपुतली हैं, सब कुछ ही तो प्रभु के वश में है जीत उन्हीं के हाथों में और हार भी उनके हाथों में जब मिलें पराजय अपयश हो, पुरुषार्थ हमारा जाय कहाँ हो हार […]
Maiya Main Nahi Makhan Khayo
माखन चोरी मैया मैं नहिं माखन खायौ ख्याल परे ये सखा सबै मिलि, मेरे मुख लपटायौ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँचे धरि लटकायौ हौ जु कहत, नन्हें कर अपने, मैं कैसे करि पायौ मुख दधि पौंछि बुद्धि इक कीन्हीं, दोना पीठि दुरायौ डारि साट मुसकाई जसोदा, स्यामहिं कण्ठ लगायौ बाल विनोद मोद मन मोह्यो, […]
Jivan Main Har Nahi Mane
पराजय जीवन में हार नहीं माने घबराये नहीं विषमता से, आती हमको वे चेताने जो गुप्त सुप्त शक्ति हममें, उसको ही वह जागृत करने प्रतिकूल परिस्थिति आती है, एक बार पुन: अवसर देने जब तक ये प्राण रहे तन में, कठिनाई जीते हमें नहीं हम आश्रय ले परमात्मा का, आखिर में जीतेंगे हम ही