Tab Nagari Man Harash Bhai
श्री राधा की प्रीति तब नागरि मन हरष भई नेह पुरातन जानि स्याम कौ, अति आनंदमई प्रकृति पुरुष, नारी मैं वे पति, काहे भूलि गई को माता, को पिता, बंधु को, यह तो भेंट नई जनम जनम जुग जुग यह लीला, प्यारी जानि लई ‘सूरदास’ प्रभु की यह महिमा, यातैं बिबस भई
Aaj Ayodhya Ki Nagari Main
अयोध्या में शिव आज अजोध्या की नगरी में, घूमे जोगी मतवाला अलख निरंजन खड़ा पुकारे, देखूँगा दशरथ-लाला शैली सिंगी लिये हाथ में, अरु डमरू त्रिशूल लिये छमक छमा-छम नाचे जोगी, दरसन की मन चाह लिये पग के घुँघरू रुनझुन बाजे, शोभा अतिशय मन हारी बालचन्द्र मस्तक पे राजे, सर्पों की माला धारी अंग भभूत रमाये […]
Pragati Nagari Rup Nidhan
श्री राधा प्राकट्य प्रगटी नागरि रूप-निधान निरख निरख सब कहे परस्पर, नहिं त्रिभुवन में आन कृष्ण-प्रिया का रूप अद्वितीय, विधि शिव करे बखान उपमा कहि कहि कवि सब हारे, कोटि कोटि रति-खान ‘कुंभनदास’ लाल गिरधर की, जोरी सहज समान