Nand Nandan Aage Nachungi
गाढ़ी प्रीति नँद-नंदन आगे नाचूँगी नाच नाच पिय तुमहिं रिझाऊँ, प्रेमीजन को जाँचूँगी प्रेम प्रीत का बाँध घूँघरा, मोहन के ढिंग छाजूगीं लोक-लाज कुल की मरजादा, या मैं एक न राखूँगी पिय के पलँगाँ जा पौढूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राँचूँगी
Main To Giridhar Aage Nachungi
समर्पण मैं तो गिरिधर आगे नाचूँगी नाच नाच मैं पिय को रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी प्रेम प्रीति के बाँध घुँघरूँ, सुरति की कछनी काछूँगी लोक लाज कुल की मर्यादा, या मैं एक न राखूँगी पिया के चरणा जाय पडूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राचूँगी