Shyam Moso Khelo Na Hori
होली स्याम मोसों खेलो न होरी, पाँव पडूं कर जोरी सगरी चुनरिया रँग न भिजाओ, इतनी सुन लो मोरी झपट लई मोरे हाथ ते गागर, करो मती बरजोरी दिल धड़कत मेरी साँस बढ़त है, देह कँपत रँग ढोरी अबीर गुलाल लिपट दियो मुख पे, सारी रँग में बोरी सास ननँद सब गारी दैहैं, आई उनकी […]
Jasoda Tero Bhagya Kahyo Na Jay
यशोदा का भाग्य जसोदा तेरो भाग्य कह्यो ना जाय जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ, सो ही प्रगटी आय शिव, नारद, सनकादिक, महामुनि मिलवे करत उपाय जे नंदलाल धूरि धूसर वपु, रहत कंठ लपटाय रतन जटित पौढ़ाय पालने, वदन देखि मुसकाय बलिहारी मैं जाऊँ लाल पे, ‘परमानंद’ जस गाय
Ham Na Bhai Vrindawan Renu
वृन्दावन हम न भईं वृंदावन-रेनु जिनपे चरनन डोलत नित प्रति, श्याम चरावैं धेनु हमतें धन्य परम ये द्रुम-बन, बाल बच्छ अरु धेनु ‘सूर’ ग्वाल हँसि बोलत खेलत, संग ही पीवत धेनु
Dushton Ka Sang Na Kabhi Karen
दुष्टों का संग दुष्टों का संग न कभी करें आचार जहाँ हो निंदनीय, मन में वह कलुषित भाव भरें दुष्कर्मी का जहँ संग रहे, सद्गुण की वहाँ न चर्चा हो क्रोधित हो जाता व्यक्ति तभी, विपरीत परिस्थिति पैदा हो होता अभाव सद्बुद्धि का, मानवता वहाँ न टिक पाती अभिशप्त न हो मानव जीवन, अनुकम्पा प्रभु […]
Hari Dekhe Binu Kal Na Pare
विरह व्यथा हरि देखे बिनु कल न परै जा दिन तैं वे दृष्टि परे हैं, क्यों हूँ चित उन तै न टरै नव कुमार मनमोहन ललना, प्रान जिवन-धन क्यौं बिसरै सूर गोपाल सनेह न छाँड़ै, देह ध्यान सखि कौन करै
Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko
कर्म निष्ठा नर हो न निराश, करो मन को, बस कर्म करो पुरुषार्थ करो आ जाय समस्या जीवन में, उद्देश्य हमारा जहाँ सही साहस करके बढ़ते जाओ, दुष्कर कोई भी कार्य नहीं संघर्ष भरा यहा जीवन है, आशा को छोड़ो नहीं कभी मन में नारायण नाम जपो, होओगे निश्चित सफल तभी जब घिर जाये हम […]
Nato Nam Ko Mosu Tanak Na Todyo Jay
गाढ़ी प्रीति नातो नाम को मोसूँ, तनक न तोड्यो जाय पानाँ ज्यूँ पीली पड़ी रे, लोग कहै पिंड रोग छाने लँघन मैं कियो रे, श्याम मिलण के जोग बाबुल वैद बुलाइया रे, पकड़ दिखाई म्हाँरी बाँह मूरख वैद मरम नहि जाणे, दरद कलेजे माँह जाओ वैद घर आपणे रे, म्हाँरो नाम न लेय ‘मीराँ’ तो […]
Nishchint Huve Baithe Na Raho
प्रबोधन निश्चिंत हुए बैठे न रहो शाश्वत जीवन यहाँ किसका है, पैदा होए वे मरते भी दिन कभी एक से नहीं रहे, इसका विचार तुम करो अभी जब जन्म दिवस आता है तो, खुशियाँ सब लोग मनाते हैं कम वर्ष हो गये जीवन के, समझे जो नहीं पछताते हैं
Patiyan Main Kaise Likhu Likhi Hi Na Jay
विरह व्यथा पतियाँ मैं कैसे लिखूँ, लिखि ही न जाई कलम धरत मेरो कर कंपत है, हियड़ो रह्यो घबराई बात कहूँ पर कहत न आवै, नैना रहे झर्राई किस बिधि चरण कमल मैं गहिहौं, सबहि अंग थर्राई ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेगि मिल्यो अब आई
Purushartha Karo Baithe Na Raho
पुरुषार्थ पुरुषार्थ करो, बैठे न रहो जो सोच-विचार करे उद्यम, ईश्वर का नाम हृदय आये भाग्योदय हो ऐसे जन का, सार्थक जीवन तब हो जाये उत्साहित हो जो कार्य करे, जीविकोपार्जन कर पाये ऐसे ही ठाला बैठ रहे, वह तो आखिर में पछताये वरदान प्रभु का मनुज देह, जो सदुपयोग नहीं कर पाये वह रहे […]