Muraliya Kahe Guman Bhari
मुरली का जादू मुरलिया काहे गुमान भरी? जड़ तोरी जानों, पेड़ पहिचानों, मधुवन की लकरी कबहुँ मुरलिया प्रभु-कर सोहे, कबहुँ अधर धरी सुर-नर-मुनि सब मोहि गये हैं, देवन ध्यान धरी ‘सूर’ श्याम अस बस भई ग्वालिन, हरि पे ध्यान धरी
Muraliya Baji Jamna Teer
मुरली की मोहिनी मुरलिया बाजी जमना तीर मुरली म्हारो मन हर लीन्हों, चित्त धरे नहीं धीर स्याम कन्हैया स्याम कमरिया, स्याम ही जमुना नीर मुरली धुन सुण सुध बुध बिसरी, शीतल होत सरीर ‘मीराँ’ के प्रभु गुरुधर नागर, बेग हरो म्हारी पीर
Muraliya Mat Baje Ab Aur
मुरली का जादू मुरलिया! मत बाजै अब और हर्यौ सील-कुल-मान करी बदनाम मोय सब ठौर रह्यो न मोपै जाय सुनूँ जब तेरी मधुरी तान उमगै हियौ, नैन झरि लागै, भाजन चाहैं प्रान कुटिल कान्ह धरि तोय अधर पर, राधा राधा टेरे रहै न मेरौ मन तब बस में, गिनै न साँझ सवेरे
Baje Baje Muraliya Baje
बाजे बाजे मुरलिया बाजे वृन्दावन में तरू कदम्ब तल, राधे श्याम बिराजे अद्भुत शोभा दिव्य युगल की, कोटि काम रति लाजें नटवर वेष घण्यो साँवरिया, बाँस की बनी बँसुरिया, बंशी धुनि सुनि भगन सबहिजन, प्रीति रीति रस जागे कनक मुद्रिका अँगुरी सोहे, मोर मुकुट माथे पे सोहे, गोपी ग्वाल मुदित मन बिहसें सकल गोरी लाजे […]