Murali Adhar Saji Balbir
मोहिनी मुरली मुरली अधर सजी बलबीर नाद सुनि वनिता विमोहीं, बिसरे उर के चीर धेनु मृग तृन तजि रहे, बछरा न पीबत छीर नैन मूँदें खग रहे ज्यौं, करत तप मुनि धीर डुलत नहिं द्रुम पत्र बेली, थकित मंद समीर ‘सूर’ मुरली शब्द सुनि थकि, रहत जमुना नीर
Madhuri Murali Adhar Dhare
मुरली का जादू माधुरी मुरली अधर धरैं बैठे मदनगुपाल मनोहर सुंदर कदँब तरैं इत उत अमित ब्रजबधू ठाढ़ी, विविध विनोद करैं गाय मयूर मधुप रस माते नहीं समाधि टरैं झाँकी अति बाँकी ब्रजसुत की, कलुष कलेश हरैं बसत नयन मन नित्य निरंतर, नव नव रति संचरैं
Kanhaiya Murali Tan Sunaye
मुरली-माधुरी कन्हैया मुरली तान सुनाये ब्रज बालाओं को गृहस्थ सुख, नहीं तनिक भी भाये दही बिलोना खाना पीना, सभी तभी छुट जाये वेणु-रव चित की वृतियों को, वृन्दावन ले जाये मनमोहक श्रृंगार श्याम का, हृदय-देश में आये धन्य बाँस की बाँसुरिया धर, अधर सरस स्वर गाये
Govind Karat Murali Gan
मुरली माधुर्य गोविन्द करत मुरली गान अधर पर धर श्याम सुन्दर, सप्त स्वर संधान विमोहे ब्रज-नारि, खग पशु, सुनत धरि रहे ध्यान चल अचल सबकी भई यह, गति अनुपम आन ध्यान छूटे मुनिजनों के, थके व्योम विमान ‘कुंभनदास’ सुजान गिरिधर, रची अद्भुत तान
Jab Murali Bajaye Muralidhar
मुरली मोहिनी जब मुरली बजायें मुरलीधर, उसके स्वर में हो मग्न सभी पशु पक्षी सभी सुन कर वंशी, वे कान लगायें उसी ओर मृग पत्नी सहित गौएँ बछड़े, निस्तब्ध चकित होए विभोर अधरामृत मुरली पान करे, स्वर उसमें भरते श्याम जभी सहचरी श्याम की है मुरली, वे नहीं छोड़ते उसे कभी इसने मन मोह लियासब […]
Mohan Ne Murali Adhar Dhari
मुरली का जादू मोहन ने मुरली अधर धरी वृन्दावन में ध्वनि गूंज रही, सुन राधे-स्वर सब मुग्ध हुए कोई न बचा इस जादू से, सबके मन इसने चुरा लिए जड़ भी चैतन्य हुए सुन कर, उन्मत्त दशा पशु पक्षी की जल प्रवाह कालिन्दी में रुक गया, कला ये वंशी की गोपीजन की गति तो विचित्र, […]