Jagahu Brajraj Lal Mor Mukut Ware
प्रभाती जागहु ब्रजराज लाल मोर मुकुट वारे पक्षी गण करहि शोर, अरुण वरुण भानु भोर नवल कमल फूल, रहे भौंरा गुंजारे भक्तन के सुने बैन, जागे करुणा अयन पूजि के मन कामधेनु, पृथ्वी पगु धारे करके फिर स्नान ध्यान, पूजन पूरण विधान बिप्रन को दियो दान, नंद के दुलारे करके भोजन गुपाल गैयन सँग भये […]