Madhav Mera Moh Mita Do
मोह मिटा दो माधव! मेरा मोह मिटा दो किया इसी ने विलग आप से, इसको नाथ हटा दो जल तरंगवत भेद न तुमसे, इसने भेद कराया इसही ने कुछ दूर-दूर रख, भव-वन में भटकाया यही मोह माया है जिसने, तुमसे विरह कराया जिसका मोह मिटा वह तुमसे निस्संदेह मिल पाया
Prarabhda Mita Nahi Koi Sake
अमिट प्रारब्ध प्रारब्ध मिटा कोई न सके अपमान अयश या जीत हार, भाग्यानुसार निश्चित आते व्यापारिक घाटा, रोग मृत्यु, इनको हम रोक नहीं पाते विपरीत परिस्थिति आने पर, सत्संग, भजन हो शांति रहे चित में विक्षेप नहीं आये, दृढ़ता व धैर्य से विपद् सहे सुख-दुख तो आते जाते हैं, उनके प्रति समता हो मन में […]