Ankhiyan Krishna Milan Ki Pyasi
विरह व्यथा अँखियाँ कृष्ण मिलन की प्यासी आप तो जाय द्वारका छाये, लोग करत मेरी हाँसी आम की दार कोयलिया बोलै, बोलत सबद उदासी मेरे तो मन ऐसी आवै, करवत लेहौं कासी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण कमल की दासी
Shyam Milan Ro Ghano Umavo
मिलन की प्यास श्याम मिलणरो घणो उमावो, नित उठ जोऊँ बाट लगी लगन छूटँण की नाहीं, अब कुणसी है आँट बीत रह्या दिन तड़फत यूँ ही, पड़ी विरह की फाँस नैण दुखी दरसण कूँ तरसै, नाभि न बैठे साँस रात दिवस हिय दुःखी मेरो, कब हरि आवे पास ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, पूरवो […]