Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des
विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस
Rana Ji Ruthe To Mharo Kai Karsi
गोविंद का गान राणाजी रूठे तो म्हारो काई करसी, मैं तो गोविन्द का गुण गास्याँ राणाजी भले ही वाँको देश रखासी, मैं तो हरि रूठ्याँ कठे जास्याँ लोक लाज की काँण न राखाँ मैं तो हरि-कीर्तन करास्याँ हरि-मंदिर में निरत करस्याँ, मैं तो घुँघरिया घमकास्याँ चरणामृत को नेम हमारो, मैं तो नित उठ दरसण जास्याँ […]
Sakhi Mharo Kanho Kaleje Ki Kor
प्राणनाथ कन्हैया सखी म्हारो कान्हो कलेजे की कोर मोर मुकुट पीतांबर सोहे, कुण्डल की झकझोर वृंदावन की कुञ्ज-गलिन में, नाचत नंदकिशोर ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल चितचोर