Aab Tum Meri Aur Niharo
शरणागति अब तुम मेरी ओर निहारो हमरे अवगुन पै नहि जाओ, अपनो बिरुद सम्भारो जुग जुग साख तुम्हारी ऐसी, वेद पुरानन गाई पतित उधारन नाम तिहारो, यह सुन दृढ़ता आई मैं अजान तुम सम कुछ जानों, घट घट अंतरजामी मैं तो चरन तुम्हारे लागी, शरणागत के स्वामी हाथ जोरि के अरज करति हौं, अपनालो गहि […]
Narhari Chanchal Hai Mati Meri
भक्ति भाव नरहरि चंचल है मति मेरी, कैसी भगति करूँ मैं तेरी सब घट अंतर रमे निरंतर मैं देखन नहिं जाना गुण सब तोर, मोर सब अवगुण मैं एकहूँ नहीं माना तू मोहिं देखै, हौं तोहि देखूँ, प्रीति परस्पर होई तू मोहिं देखै, तोहि न देखूँ, यह मति सब बुधि खोई तेरा मेरा कछु न […]