Meri Yah Abhilash Vidhata

अभिलाषा मेरी यह अभिलाष विधाता कब पुरवै सखि सानुकूल ह्वैं हरि सेवक सुख दाता सीता सहित कुसल कौसलपुरआय रहैं सुत दोऊ श्रवन-सुधा सम वचन सखी कब, आइ कहैगो कोऊ जनक सुता कब सासु कहैं मोहि, राम लखन कहैं मैया कबहुँ मुदित मन अजर चलहिंगे, स्याम गौर दोउ भैया ‘तुलसिदास’ यह भाँति मनोरथ करत प्रीति अति […]

Raghuvar Tumko Meri Laj

विरूद रघुवर तुमको मेरी लाज सदा सदा मैं सरन तिहारी, तुम बड़े गरीब-निवाज पतित उधारन विरूद तिहारो, श्रवनन सुनी आवाज हौं तो पतित पुरातन कहिये, पार उतारो जहाज अघ खंडन, दुख-भंजन जन के, यही तिहारो काज, ‘तुलसिदास’ पर किरपा करिये, भक्ति दान देहु आज

Aaju Meri Vrandawan Main

दधि लूटन आजु मेरी वृन्दावन में दधि लूटी कहाँ मेरो हार कहाँ नक बेसर, कहाँ मोतियन लर टूटी बरजो यशोदा श्यामसुंदर को, झपटत गगरी फूटी ‘सूरदास’ हेरि के जु मिलन को, सर्वस दे ग्वालिन छूटी

Tum Meri Rakho Laj Hari

शरणागति तुम मेरी राखौ लाज हरी तुम जानत सब अंतरजामी, करनी कछु न करी औगुन मोसे बिसरत नाहीं, पल-छिन घरी-घरी सब प्रपंच की पोट बाँधिकैं, अपने सीस धरी दारा-सुत-धन मोह लियो है, सुधि-बुधि सब बिसरी ‘सूर’ पतित को बेग उधारो, अब मेरी नाव भरी

Meri Shudhi Lijo He Brajraj

शरणागति मेरी सुधि लीजौ हे ब्रजराज और नहीं जग में कोउ मेरौ, तुमहिं सुधारो काज गनिका, गीध, अजामिल तारे, सबरी और गजराज ‘सूर’ पतित पावन करि कीजै, बाहँ गहे की लाज

Tum Bin Meri Kon Khabar Le Govardhan Giridhari

लाज तुम बिन मोरी कौन खबर ले, गोवर्धन गिरधारी मोर-मुकुट पीतांबर सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी द्रुपद सुता की लाज बचाई, राखो लाज हमारी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कमल बलिहारी

Vinati Suno Shyam Meri

विरह व्यथा विनती सुनो श्याम मेरी, मैं तो हो गई थारी चेरी दरसन कारण भई बावरी, विरह व्यथा तन घेरी तेरे कारण जोगण हूँगी, करूँ नगर बिच फेरी अंग गले मृगछाला ओढूँ, यो तन भसम करूँगी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, वन-वन बीच फिरूँगी

Sakhi Meri Nind Nasani Ho

विरह व्यथा सखी, मेरी नींद नसानी हो पिव को पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो सखियन मिल कर सीख दई मन, एक न मानी हो बिन देख्याँ कल नाहिं पड़त, जिय ऐसी ठानी हो अंग-अंग व्याकुल भये मुख ते, पिय पिय बानी हो अंतर-व्यथा विरह की कोई, पीर न जानी हो चातक जैहि विधि रटे […]

Bin Kaju Aaj Maharaj Laj Gai Meri

द्रोपदी का विलाप बिन काज आज महाराज लाज गई मेरी दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी दुःशासन वंश कठोर, महा दुखदाई खैंचत वह मेरो चीर लाज नहिं आई अब भयो धर्म को नास, पाप रह्यो छाई यह देख सभा की ओर नारि बिलखाई शकुनि दुर्योधन, कर्ण खड़े खल घेरी दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी […]

Brajraj Aaj Pyare Meri Gali Me Aana

श्याम का सौन्दर्य ब्रजराज आज प्यारे मेरी गली में आना तेरी छबि मनोहर मुझको झलक दिखाना सिर मोर मुकुट राजे, बनमाल उर बिराजे नूपुर चरण में बाजे, कर में कड़ा सुहाना कुंडल श्रवण में सोहे, बंसी अधर धरी हो तन पीत वसन शोभे, कटि मेखला सजाना विनती यही है प्यारे, सुन नंद के दुलारे ‘ब्रह्मानंद’ […]