Govind Kabahu Mile Piya Mera
विरह व्यथा गोविन्द कबहुँ मिले पिया मेरा चरण कँवल को हँस-हँस देखूँ, राखूँ नैणा नेरा निरखण को मोहि चाव घणेरो, कब देखूँ मुख तेरा व्याकुल प्राण धरत नहीं धीरज, तुम सो प्रेम घनेरा ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताप तपन बहुतेरा
Madhav Mera Moh Mita Do
मोह मिटा दो माधव! मेरा मोह मिटा दो किया इसी ने विलग आप से, इसको नाथ हटा दो जल तरंगवत भेद न तुमसे, इसने भेद कराया इसही ने कुछ दूर-दूर रख, भव-वन में भटकाया यही मोह माया है जिसने, तुमसे विरह कराया जिसका मोह मिटा वह तुमसे निस्संदेह मिल पाया
Prabhu Lijyo Mera Pranam
प्रणाम प्रभु लिज्यो मेरा प्रणाम प्रभु लिज्यो मेरा प्रणाम मैं आन पड़ी तेरे पांव प्रभुजी, आन पड़ी हे श्याम सब घर बार प्रभु मैं दीना, तुम्हरे चरण का ध्यान है कीना बिन दरशन कैसे हो जीना, प्रभु जपूँ तिहारो नाम सफल जनम हो जाये मेरा, जो दरशन मैं पाऊँ तेरा औरन से क्या काम प्रभुजी, […]
Samarpan Karun Buddhi Bal Mera
भीष्मजी द्वारा स्तवन समर्पण करूँ बुद्धि बल मेरा और न कुछ भी दे पाऊँ प्रभु, जो भी है वह तेरा मेरा मन आबद्ध जगत् में, घट घट के प्रभु वासी दो प्रबोध हे त्रिभुवन-सुन्दर! वृन्दावन के वासी पंकज-नयन, तमाल-वर्ण, आवृत अलकावली मुख पे पीत वसन रवि-किरणों के सम, शोभित श्यामल तन पे अनुपम शोभा कुरुक्षेत्र […]