Man Le Manwa Murakh Tu
सीख मान ले मनवा मूरख तू, अब तो भज नाम निंरजन का माँ-उदर में जिसने पेट भरा, अब पेट के काज तू क्यों भटके दुनियाँ का पोषण जो करता, वह पालनहार तेरे तन का ये मात-पिता, भाई-बंधु, बेटा अरु, माल मकान सभी कोई वस्तु नहीं स्थिर है यहाँ, करले तू काम भलाई का ये काल […]
Kahe Ko Soch Kare Manwa Tu
कर्मयोग काहे को सोच करे मनवा तूँ! होनहार सब होता प्यारे मंत्र जाप से शांति मिले पर, विधि -विधान को कैसे टारे कर्म किया हो जैसा तुमने, तदनुसार प्रारब्ध बना है जैसी करनी वैसी भरनी, नियमबद्ध सब कुछ होना है हरिश्चन्द्र, नल, राम, युधिष्ठिर, नाम यशस्वी दुनिया जाने पाया कष्ट गये वो वन में, कर्म-भोग […]
Manwa Nahi Vichari Re
पछतावा (राजस्थानी) मनवा नहीं विचारी रे थारी म्हारी करता उमर बीति सारी रे बालपणा में लाड़-लड़ायो, माता थारी रे भर जोबन में लगी लुगाई सबसे प्यारी रे बूढ़ो हुयो समझ में आई, ऊमर हारी रे व्यर्थ बिताई करी एक बस, थारी म्हारी रे मिनख जनम खो दियो, तू जप ले कृष्ण मुरारी रे अन्तकाल थारो […]