Main Kase Kahun Koi Mane Nahi
पाप कर्म मैं कासे कहूँ कोई माने नहीं बिन हरि नाम जनम है विरथा, शास्त्र पुराण कही पशु को मार यज्ञ में होमे, निज स्वारथ सब ही इक दिन आय अचानक तुमसे, ले बदला ये ही पाप कर्म कर सुख को चाहे, ये कैसे निबहीं कहे ‘कबीर’ कहूँ मैं जो कछु, मानो ठीक वही
Jivan Main Har Nahi Mane
पराजय जीवन में हार नहीं माने घबराये नहीं विषमता से, आती हमको वे चेताने जो गुप्त सुप्त शक्ति हममें, उसको ही वह जागृत करने प्रतिकूल परिस्थिति आती है, एक बार पुन: अवसर देने जब तक ये प्राण रहे तन में, कठिनाई जीते हमें नहीं हम आश्रय ले परमात्मा का, आखिर में जीतेंगे हम ही
Mulyawan Yah Seekh Jo Mane
पुरुषार्थ मूल्यवान यह सीख जो माने, भाग्यवान् वह व्यक्ति है सत्कर्म करो बैठे न रहो, भगवद्गीता की उक्ति है यह सृष्टि काल के वश में है, जो रुके नहीं चलती ही रहे प्रमाद न हो गतिशील रहे, जीवन में जो भी समृद्धि चहे सन्मार्ग चुनो शुभ कार्य करो, उत्तम जीवन का मर्म यही जो यत्नशील […]