Bethi Sagun Manavati Mata
माँ की आतुरता बैठी सगुन मनावति माता कब ऐहैं मेरे बाल कुसल घर, कहहु, काग ! फुरि बाता दूध-भात की दौनी दैहौं, सोने चोंच मढ़ैहौं जब सिय-सहित विलोकि नयन भरि, राम-लषन उर लैहौं अवधि समीप जानि जननी जिय अति आतुर अकुलानी गनक बोलाइ, पाँय परि पूछति, प्रेम मगन मृदु बानी तेहि अवसर कोउभरत निकट तें, […]