Bhaj Man Shri Radhe Gopal

श्रीराधाकृष्ण स्तुति भज मन श्री राधे गोपाल स्निग्ध कपोल, अधर-बिंबाफल लोचन परम विशाल शुक-नासा, भौं दूज-चन्द्र-सम, अति सुंदर है भाल मुकुट चंद्रिका शीश लसत है, घूँघर वाले बाल रत्न जटित, कुंडल, कर-कंगन, गल मोतियन की माल पग नूपुर-मणि-खचित बजत जब, चलत हंस गति चाल गौर श्याम तनु वसन अमोलक, चंचल नयन विशाल मृदु मुसकान मनोहर […]

Chadi Man Hari Vimukhan Ko Sang

प्रबोधन छाड़ि मन, हरि-विमुखन को संग जिनके संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग कहा होत पय-पान कराए, विष नहिं तजत भुजंग कागहिं कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग खर कौं कहा अरगजा-लेपन मरकट भूषन अंग गज कौं कहा सरित अन्हवाए, बधुरि धरै वह ढंग पाहन पतित बान नहिं बेधत, रीतो करत निषंग ‘सूरदास’ […]

Jivan Ke Din Char Re Man Karo Punya Ke Kam

नाशवान संसार जीवन के दिन चार रे, मन करो पुण्य के काम पानी का सा बुदबुदा, जो धरा आदमी नाम कौल किया था, भजन करूँगा, आन बसाया धाम हाथी छूटा ठाम से रे, लश्कर करी पुकार दसों द्वार तो बन्द है, निकल गया असवार जैसा पानी ओस का, वैसा बस संसार झिलमिल झिलमिल हो रहा, […]

Karahu Man Nandnandan Ko Dhyan

प्रबोधन करहुँ मन, नँदनंदन को ध्यान येहि अवसर तोहिं फिर न मिलैगो, मेरो कह्यो अब मान अन्तकाल की राह देख मत, तब न रहेगो भान घूँघरवाली अलकैं मुख पर, कुण्डल झलकत कान मोर-मुकुट अलसाने नैना, झूमत रूप निधान दिव्य स्वरुप हृदय में धरले करहुँ नित्य प्रभु गान

Bhajahun Re Man Shri Nand Nandan

नवधा भक्ति भजहुँ रे मन श्री नँद-नन्दन, अभय चरण अरविन्द रे दुर्लभ मानव-जनम सत्संग, तरना है भव-सिंधु रे शीत, ग्रीष्म, पावस ऋतु, सुख-दुख, ये दिन आवत जात रे कृपण जीवन भजन के बिन चपल सुख की आस रे ये धन, यौवन, पुत्र, परिजन, इनसे मोह परितोष रे कमल-नयन भज, जीवन कलिमल, करहुँ हरि से प्रीति […]

Jadyapi Man Samujhawat Log

स्मृति जद्यपि मन समुझावत लोग सूल होत नवनीत देख मेरे, मोहन के मुख जोग प्रातः काल उठि माखन-रोटी, को बिन माँगे दैहै को है मेरे कुँवर कान्ह कौं, छिन-छिन अंकन लैहै कहियौ पथिक जाइ घर आवहु, राम कृष्ण दौउ भैया ‘सूर’ श्याम किन होइ दुखारी, जिनके मो सी मैया

Mat Kar Moh Tu Hari Bhajan Ko Man Re

भजन महिमा मत कर मोह तू, हरि-भजन को मान रे नयन दिये दरसन करने को, श्रवण दिये सुन ज्ञान रे वदन दिया हरि गुण गाने को, हाथ दिये कर दान रे कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, कंचन निपजत खान रे

Kirtan Se Man Shanti Pate

कीर्तन महिमा कीर्तन से मन:शांति पाते प्रभु के स्वरूप का चिन्तन हो, आनन्दरूप मन में आते अनुभूति प्रेम की हो जाये, तो भक्ति स्वतः मिल जाती है अपनापन होने से ही तो, माँ हमको प्यारी लगती है तन्मयता से जब कीर्तन हो, तो हरि से लौ लग जायेगी सब छुट जायेगा राग द्वेष, प्रभु-प्रीति ही […]

Bhajo Man Nish Din Shyam Sundar

नाम-स्मरण भजो मन निश-दिन श्यामसुन्दर, सुख-सागर भजो श्री राधावर सकल जगत् के जीवन-धन प्रभु करत कृपा अपने भक्तों पर ब्रज सुन्दरियों से सेवित जो, नव नीरद सम वर्ण मनोहर त्रिभुवन-मोहन वेष विभूषित, शोभा अतुलित कोटि काम हर तरु कदम्ब तल यमुना तट पे, मुरली में भरते मीठा स्वर चरण-कमल में नूपुर बाजत, कटि धारे स्वर्णिम […]

Jasumati Man Abhilash Kare

माँ की अभिलाषा जसुमति मन अभिलाष करे कब मेरो लाल घुटुरूअन रैंगे, कब धरती पग धरै कब द्वै दाँत दूध के देखौ, कब तोतरे मुख वचन झरै कब नंद ही बाबा कहि बोले, कब जननी कहि मोहि ररै ‘सूरदास’ यही भाँति मैया , नित ही सोच विचार करै