Chalo Re Man Jamna Ji Ke Tir

यमुना का तीर चलो रे मन जमनाजी के तीर जमनाजी को निरमल पाणी, सीतल होत शरीर बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लिये बलबीर मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुण्डल झलकत हीर मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल पर सीर

Abhilasha Ashumati Man Jagi

यशोदा की लालसा अभिलाषा यशुमति मन जागी, मुसकाया जैसे ही लाला कब तुतला करके मैया कह, ये मुझे पुकारेगा लाला यह आयेगा दिन कब ऐसा, जब आँचल पकड़ेगा लाला हठ कर गोदी में आने को, मचलेगा मेरा यह लाला कब मंगलमय दिन आयेगा, हँस करके बोलेगा लाला

Badhai Se Nahi Phulo Man Main

प्रशंसा बड़ाई से नहिं फूलों मन में ध्यान न रहता जो भी खामियाँ, रहती हैं अपने में काम प्रशंसा का जब होए, समझो कृपा प्रभु की याद रहे कि प्रशंसा तो बस, मीठी घूँट जहर की नहीं लगाओ गले बड़ाई, दूर सदा ही भागो होगी श्लाघा बड़े बनोगे, सपने से तुम जागो 

Shri Ram Chandra Krapalu Bhaj Man

श्री राम स्तुति श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम् नवकंज-लोचन कंज-मुख कर-कंज पद-कंजारुणम् कंदर्प अगणित अमित छबि, नव नील-नीरद-सुंदररम पट-पीत मानहुँ तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक-सुतावरम् भजु दीन-बंधु दिनेश दानव, दैत्य-वंश निकंदनम् रघुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ-नंदनम् सिर मुकुट, कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम् आजानु भुज, शर-चाप-धरि, संग्राम-जित-खरदूषणम् इति वदति ‘तुलसीदास’ शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम् […]

Bhaj Man Charan Kamal Avinasi

नश्वर संसार भज मन चरण-कमल अविनासी जे तई दीसे धरण गगन बिच, ते तई सब उठ जासी कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हें, कहा लिए करवत कासी या देही को गरब न करियो, माटी में मिल जासी यो संसार चहर की बाजी, साँझ पड्या उठ जासी कहा भयो भगवाँ का पहर्या, घर तज के सन्यासी जोगी […]

Are Man Jap Le Prabhu Ka Nam

नाम स्मरण अरे मन जप ले प्रभु का नाम पाँच तत्व का बना पींजरा, मढ़ा उसी पर चाम आज नहीं कल छूट जायगा, भज ले करुणाधाम द्रुपद-सुता ने उन्हें पुकारा, वसन रूप भये श्याम श्रद्धा-भाव रहे मन में नित, जपो प्रभु का नाम अजामील ने पुत्र-भाव से, नारायण का लिया नाम सुलभ हो गई सद्गति […]

Baso Man Mandir Shyama Shyam

युगल माधुरी बसो मन-मन्दिर, श्यामा-श्याम चपला नव-नीरद से अनुपम, युगल वर्ण अभिराम मुकुलित नयन प्रफुल्लित मुखड़ा, अलकावली ललाम नील वसन, पीताम्बर सोहे, रसिक राधिका श्याम लीला रत सँग ब्रज सुन्दरियाँ, श्री वृन्दावन धाम युगल-रूप सौन्दर्य लजाये, कोटि कोटि रति काम निगमागम के सारभूत को, भज मन आठो याम  

Karat Shrangar Maiya Man Bhavat

श्रृंगार करत श्रृंगार मैया मन भावत शीतल जल तातो करि राख्यो, ले लालन को बैठ न्हवावत अंग अँगोछ चौकी बैठारत, प्रथमही ले तनिया पहरावत देखो लाल और सब बालक, घर-घर ते कैसे बन आवत पहर्यो लाल झँगा अति सुंदर, आँख आँज के तिलक बनावत ‘सूरदास’, प्रभु खेलत आँगन, लेत बलैंया मोद बढ़ावत

Mero Man Ram Hi Ram Rate Re

नाम की महिमा मेरो मन रामहि राम रटै रे राम नाम जप लीजै प्राणी, कोटिक पाप कटे रे जनम जनम के लेख पुराने, नामहि लेत फटे रे कनक कटोरे अमृत भरियो, पीवत कौन नटे रे ‘मीराँ’ कहे प्रभु हरि अविनासी, तन-मन ताहि पटे रे

Kanhaiya Pe Tan Man Lutane Chali

समर्पण कन्हैया पे तन मन लुटाने चली भूल गई जीवन के सपने, भूल गई मैं जग की प्रीति, साँझ सवेरे मैं गाती हूँ, कृष्ण-प्रेम के मीठे गीत अब अपने को खुद ही मिटाने चली, कन्हैया पे तन मन लुटाने चली लिखा नहीं है भाग्य में मिलना, पर मैं मिलने जाती हूँ, दुःख के सागर में […]