Priy Putra Parvati Maiya Ke
श्री गणेश वंदना प्रिय पुत्र पार्वती मैया के, गज-वदन विनायक विघ्न हरे जो ऋद्धि सिद्धि दाता सेवित, संताप शोक को दूर करे जामुन कपित्थ जैसे फल का, रुचि पूर्वक भोग लगाते हैं मोदक के लड्डू जिनको प्रिय, सारे जग का हित करते हैं सम्पूर्ण यज्ञ के जो रक्षक, कर में जिनके पाशांकुश है है रक्त […]
Main Nahi Mati Khai Maiya
परब्रह्म श्याम मैं नहीं माटी खाई मैया, मैं नहीं माटी खाई ग्वाल सखा सब झूठे मैया, जिनको तू पतियाई एक बार चुपके से लाला ने जब मिट्टी खाई देख लिया मैया न उसको, तभी दौड़ कर आई हाथ पकड़ उसका तब बोलीं, मुँह तो खोल कन्हाई तीनों लोक लाल के मुँह में, देखे तो चकराई […]
Karat Shrangar Maiya Man Bhavat
श्रृंगार करत श्रृंगार मैया मन भावत शीतल जल तातो करि राख्यो, ले लालन को बैठ न्हवावत अंग अँगोछ चौकी बैठारत, प्रथमही ले तनिया पहरावत देखो लाल और सब बालक, घर-घर ते कैसे बन आवत पहर्यो लाल झँगा अति सुंदर, आँख आँज के तिलक बनावत ‘सूरदास’, प्रभु खेलत आँगन, लेत बलैंया मोद बढ़ावत
Maiya Ne Bandha Lala Ko
माखन चोर मैया ने बाँधा लाला को नहीं माखन की चोरी छोड़ी, तब उसका शिक्षा देने को जसुमति तो बाँध नहीं पाई, थक करके आखिर बैठ गई इतना कठोर यह काम किया मन में भारी वे पछताई गोपीजन सुन दौड़ी आई हा हा कर सभी दुखी थीं मैया से कान्हा स्वतः बंधे आंसू से भरी […]
Kahan Lage Mohan Maiya Maiya
कहन-लागे-मोहन मैया मैया नंद महर सौ बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ऊँचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया दूर खेलन जिनि जाहु लला रे, मारेगी कोउ गैया गोपी-ग्वाल करत कौतूहल, घर घर बजति बधैया ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हे दरस कौ, चरननि की बलि जैया
Jay Ganga Maiya
गंगा आरती जय गंगा मैया, माँ जय सुरसरि मैया आरती करे तुम्हारी, भव-निधि की नैया हरि-पद-पद्म-प्रसूति, विमल वारिधारा ब्रह्म द्रव भागीरथि, शुचि पुण्यागारा शंकर-जटा विहारिणि, भव-वारिधि-त्राता सगर-पुत्र गण-तारिणि, स्नेहमयी माता ‘गंगा-गंगा’ जो जन, उच्चारे मुख से दूर देश स्थित भी, पाये मुक्तिभय से मृत व्यक्ति की अस्थियाँ जो प्रवेश पाये वो भी पावन होकर परम […]
Bal Krishna Kahe Maiya Maiya
माँ का स्नेह बालकृष्ण कहे मैया मैया नन्द महर सौं बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ऊँचे चढ़ि-चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया दूर खेलन जनि जाहु ललारे, मारेगी कोउ गैया गोपी ग्वाल करत कौतूहल, घर-घर बजत बधैया ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरस को, चरणनि की बलि जैया
Aarti Kalindi Maiya
यमुना आरती आरती कालिंदी मैया की, कृष्ण-प्रिया श्री जमुनाजी की जय श्यामा शुभदायिनी जय जय, मन वांछित फलदायिनि जय जय जय ब्रज-मण्डल-वासिनि जय जय, सरिता पाप-विनाशिनि जय जय जय कलि-कलुष-नसावनि जय जय, मंगलमय माँ पावनी, जय जय जय गोलोक-प्रदायिनि जय जय, जय मधु गन्ध-विलासिनि जय जय
Maiya Kabahi Badhegi Choti
बालकृष्ण माधुर्य मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी किती बार मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, ह्वै है लाँबी मोटी काढ़त गुहत नहावत पोंछत, नागिन सी भ्वै लोटी काचो दूध पिवावति पचि पचि, देति न माखन रोटी ‘सूरदास’ चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी
Maiya Gai Charawan Jehon
गौ-चारण मैया ! गाइ चरावन जैहौ तू कहि महर नंदबाबा सौं, बड़ौ भयौ न डरैहौं रैता, पैता, मना, मनसुखा, हलधर संगहि रैहौं बंसीबट पर ग्वालिन कै संग, खेलत अति सुख पैहौं मैया, भोजन दै दधि काँवरि, भूख लगे तैं खैहौं ‘सूरदास’ है साखि जमुन-जल, सौंह देहु जु नहैहौं