Giridhari Ke Rang Mainrachi
प्रीति माधुरी गिरिधारी के रंग में राची सुध बुध भूल गई मैं तो सखि, बात कहूँ मैं साँची मारग जात मिले मोहि सजनी, मो तन मुरि मुसकाने मन हर लियो नंद के नंदन, चितवनि माँझ बिकाने जा दिन ते मेरी दृष्टि परी सखि, तब से रह्यो न जावै ऐसा है कोई हितू हमारो, श्याम सों […]