Mai Ri Main To Liyo Govind Mol
अनमोल गोविंद माई री मैं तो लियो री गोविन्दो मोल कोई कहै छाने, कोई कहै चोरी, लियो री बजंताँ ढोल कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अखियाँ खोल कोई कहै महँगो कोई कहै सस्तो, लियो री अमोलक मोल तन का गहणाँ सब ही दीना, दियो री बाजूबँद खोल ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, […]
Main Kase Kahun Koi Mane Nahi
पाप कर्म मैं कासे कहूँ कोई माने नहीं बिन हरि नाम जनम है विरथा, शास्त्र पुराण कही पशु को मार यज्ञ में होमे, निज स्वारथ सब ही इक दिन आय अचानक तुमसे, ले बदला ये ही पाप कर्म कर सुख को चाहे, ये कैसे निबहीं कहे ‘कबीर’ कहूँ मैं जो कछु, मानो ठीक वही
Ab Main Koun Upay Karu
असमंजस अब मैं कौन उपाय करूँ जेहि बिधि मनको संसय छूटै, भव-निधि पार करूँ जनम पाय कछु भलो न कीन्हों, ताते अधिक डरूँ गुरुमत सुन के ज्ञान न उपजौ, पसुवत उदर भरूँ कह ‘नानक’ प्रभु बिरद पिछानौ, तब मैं पतित तरूँ
Do Rupon Main Avtar Liya
नर नारायण स्तुति दो रूपों में अवतार लिया नर नारायण को हम नमन करें अंशावतार वे श्री हरि के, बदरीवन में तप वहीं करें वक्षस्थल पर श्रीवत्स चिन्ह चौड़ा ललाट सुन्दर भौंहे दोनों ही वेष तपस्वी में, मस्तक पर घनी जटा सोहें तप से शंकित शचि पति प्रेरित, रति काम वहाँ पर जब आये सामर्थ्य […]
Man Main Yah Rup Niwas Kare
युगल स्वरूप मन में यह रूप निवास करे दो गात धरे वह एक तत्व, अनुपम शोभा जो चित्त हरे वृषभानु-सुता देवकी-नन्दन के अंगों का बेजोड़ लास्य मधुरातिमधुर जिनका स्वरूप, अधरों पर उनके मंद हास्य गल स्वर्णहार, बैजंति-माल, आल्हादिनि राधा मनमोहन वृन्दावन में विचरण करते, वे वरदाता अतिशय सोहन निमग्न रास क्रीड़ा में जो, रति कामदेव […]
Shyam Main Kaise Darshan Paun
दर्शन की चाह श्याम! मैं कैसे दर्शन पाऊँ दर्शन की उत्कट अभिलाषा और कहीं ना जाऊँ पूजा-विधि भलीभाँति न जानूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ माखन मिश्री का मैं प्रतिदिन, क्या मैं भोग लगाऊँ गोपीजन-सा भाव न मुझमें, कैसे प्रीति बढ़ाऊँ श्री राधा से प्रीति अनूठी, उनके गीत सुनाऊँ तुम्हीं श्याम बतलाओ मुझको, क्या मैं भेंट चढ़ाऊँ […]
Aaju Meri Vrandawan Main
दधि लूटन आजु मेरी वृन्दावन में दधि लूटी कहाँ मेरो हार कहाँ नक बेसर, कहाँ मोतियन लर टूटी बरजो यशोदा श्यामसुंदर को, झपटत गगरी फूटी ‘सूरदास’ हेरि के जु मिलन को, सर्वस दे ग्वालिन छूटी
Main Giridhar Ke Ghar Jau
प्रगाढ़ प्रीति मैं गिरिधर के घर जाऊँ गिरिधर म्हाँरो साँचो प्रीतम, देखत रूप लुभाऊँ रैन पड़ै तब ही उठ जाऊँ, भोर भये उठि आऊँ रैन दिना वाके सँग खेलूँ, ज्यूँ त्यूँ ताहि रिझाऊँ जो पहिरावै सोई पहिरूँ, जो दे सोई खाऊँ मेरी उनकी प्रीति पुरानी, उन बिन पल न रहाऊँ जहाँ बैठावे तितही बैठूँ, बेचे […]
Ram Nam Ke Bina Jagat Main
राम आसरा राम नाम के बिना जगत में, कोई नहीं भाई महल बनाओ बाग लगाओ, वेष हो जैसे छैला इस पिजड़े से प्राण निकल गये, रह गया चाम अकेला तीन मस तक तिरिया रोवे, छठे मास तक भाई जनम जनम तो माता रोवे, कर गयो आस पराई पाँच पचास बराती आये, ले चल ले चल […]
Aaj Ayodhya Ki Nagari Main
अयोध्या में शिव आज अजोध्या की नगरी में, घूमे जोगी मतवाला अलख निरंजन खड़ा पुकारे, देखूँगा दशरथ-लाला शैली सिंगी लिये हाथ में, अरु डमरू त्रिशूल लिये छमक छमा-छम नाचे जोगी, दरसन की मन चाह लिये पग के घुँघरू रुनझुन बाजे, शोभा अतिशय मन हारी बालचन्द्र मस्तक पे राजे, सर्पों की माला धारी अंग भभूत रमाये […]