Bhula Raha Hai Tu Youwan Main
नवधा भक्ति भूला रहा तू यौवन में, क्यों नहीं समझता अभिमानी तू राग, द्वेष, सुख, माया में, तल्लीन हो रहा अज्ञानी जो विश्वसृजक करुणासागर की तन्मय होकर भक्ति करे प्रतिपाल वहीं तो भक्तों के, सारे संकट को दूर करें हरि स्मरण कीर्तन, दास्य, सख्य, पूजा और आत्मनिवेदन हो हरि-कथा श्रवण हो, वन्दन हो, अरु संतचरण […]
Vipada Mangu Main Giridhari
विपदा की चाह विपदा माँगू मैं गिरिधारी कुन्ती देवी कहे आपने, कई आपदा टारी शत-शत करूँ प्रणाम अकिंचन, हूँ अबोध मैं नारी लाक्षा-गृह अग्नि, हिडिम्ब से रक्षा की असुरारी दुर्वासा भोजन को आये तब भी विपद् निवारी तृप्त किया उनको विश्वम्भर, बची द्रोपदी प्यारी दुष्ट दुशासन ने खीचीं थी, पुत्र-वधू की सारी लियो वस्त्र अवतार, […]
Janani Main Na Jiu Bin Ram
भरत की व्यथा जननी मैं न जीऊँ बिन राम राम लखन सिया वन को सिधाये, राउ गये सुर धाम कुटिल कुबुद्धि कैकेय नंदिनि, बसिये न वाके ग्राम प्रात भये हम ही वन जैहैं, अवध नहीं कछु काम ‘तुलसी’ भरत प्रेम की महिमा, रटत निरंतर नाम
Braj Main Kanha Dhum Machai
होली ब्रज में कान्हा धूम मचाई, ऐसी होरी रमाई इतते आई सुघड़ राधिका, उतते कुँवर कन्हाई हिलमिल के दोऊ फाग रमत है, सब सखियाँ ललचाई, मिलकर सोर मचाई राधेजी सैन दई सखियन के, झुंड-झुंड झट आई रपट झपट कर श्याम सुन्दर कूँ, बैयाँ पकड़ ले जाई, लालजी ने नाच नचाई मुरली पीताम्बर छीन लियो है, […]
Mukhada Kya Dekhe Darpan Main
दया-धर्म मुखड़ा क्या देखे दर्पण में, तेरे दया धरम नहीं मन में कागज की एक नाव बनाई, छोड़ी गंगा-जल में धर्मी कर्मी पार उतर गये, पापी डूबे जल में आम की डारी कोयल राजी, मछली राजी जल में साधु रहे जंगल में राजी, गृहस्थ राजी धन में ऐंठी धोती पाग लपेटी, तेल चुआ जुलफन में […]
He Sakhi Sun To Vrindawan Main
वृंदावन केलि हे सखि सुन तो वृन्दावन में, बंसी श्याम बजावत है सब साधु संत का दुख हरने, ब्रज में अवतार लिया हरि ने वो ग्वाल-बाल को संग में ले, यमुना-तट धेनु चरावत है सिर मोर-पंख का मुकुट धरे, मकराकृत कुण्डल कानों में वक्षःस्थल पे वनमाल धरे, कटि में पट पीत सुहावत है वृन्दावन में […]
Duniya Main Kul Saat Dwip
भारतवर्ष दुनियाँ में कुल सात द्वीप, उसमें जम्बू है द्वीप बड़ा यह भारतवर्ष उसी में है, संस्कृति में सबसे बढ़ा चढ़ा कहलाता था आर्यावर्त, प्राचीन काल में देश यही सम्राट भरत थे कीर्तिमान, कहलाया भारतवर्ष वही नाभिनन्दन थे ऋषभदेव, जिनमें यश, तेज, पराक्रम था वासना विरक्त थे, परमहंस, स्वभाव पूर्णतः सात्विक था सम्राट भरत इनके […]
Bhojan Kare Shyam Kanan Main
वन-विहार भोजन करे श्याम कानन में ग्वाल-बाल संग हँसे हँसाये, मुदित सभी है मन में छीके खोल सखा सब बैठे, यमुना तट पर सोहे उनके मध्य श्याम-सुन्दर छबि, सबके मन को मोहे जूठे का संकोच नहीं, सब छीन झपट के खायें सभी निहारें मोहन मुखड़ा, स्वाद से भोजन पायें छटा निराली नटनागर की, धरी वेणु […]
Shyam Dekh Darpan Main Bole
राधिका श्याम सौन्दर्य श्याम देख दर्पण में बोले ‘सुनो राधिका प्यारी आज बताओ मैं सुन्दर या तुम हो सुभगा न्यारी’ असमंजस में पड़ी राधिका, कौन अधिक रुचिकारी ‘हम का कहें कि मैं गोरी पर, तुम तो श्याम बिहारी’ जीत गई वृषभानु-दुलारी, मुग्ध हुए बनवारी भक्तों के सर्वस्व राधिका-श्याम युगल मनहारी
Main Hari Patit Pawan Sune
पतित-पावन मैं हरि पतित-पावन सुने मैं पतित तुम पतित पावन दोइ बानक बने व्याध, गनिका, गज, अजामिल, साखि निगमनि भने और अधम अनेक तारे, जात कापै गने जानि नाम अजानि लीन्हें, नरक सुरपुर मने दास तुलसी सरन आयो, राखिये आपने