Man Madhav Ko Neku Niharhi
हरि पद प्रीति मन माधव को नेकु निहारहि सुनु सठ, सदा रंक के धन ज्यों, छिन छिन प्रभुहिं सँभारहि सोभा-सील ज्ञान-गुन-मंदिर, सुन्दर परम उदारहि रंजन संत, अखिल अघ गंजन, भंजन विषय विकारहि जो बिनु जोग जग्य व्रत, संयम, गयो चहै भव पारहि तो जनि ‘तुलसिदास’ निसि वासर, हरिपद कमल बिसारहि
Man Ga Tu Madhav Rag Re
चेतावनी मन गा तू माधव राग रे, कर माधव से अनुराग रे कृष्ण भजन को नर तन पाया, यहाँ आय जग में भरमाया छोड़ छोड़ यह माया छाया, श्याम सुधारस पाग रे माधव ही तेरा अपना है, और सभी कोरा सपना है दुनिया से जुड़ना फँसना है, इस बंधन से भाग रे मोह निशा में […]
Madhav Mera Moh Mita Do
मोह मिटा दो माधव! मेरा मोह मिटा दो किया इसी ने विलग आप से, इसको नाथ हटा दो जल तरंगवत भेद न तुमसे, इसने भेद कराया इसही ने कुछ दूर-दूर रख, भव-वन में भटकाया यही मोह माया है जिसने, तुमसे विरह कराया जिसका मोह मिटा वह तुमसे निस्संदेह मिल पाया