Sobhit Kar Navneet Liye
बाल कृष्ण माधुर्य सोभित कर नवनीत लिये घुटुरुन चलत रेनु तन मंडित, मुख दधि लेप किये चारू कपोल, लोल लोचन, गोरोचन तिलक दिये लत लटकनि मनौ मत्त मधुप गन, माधुरि मधुहि पिये कठुला कंठ वज्र के हरि नख, राजत रुचिर हिये धन्य ‘सूर’ एकेउ पल यहि सुख, का सत् कल्प जियें
Sakhiyon Ko Sang Liye
नाचे बनवारी सखियों को संग लिये, नाचत बनवारी मन्द मन्द चलत पवन, पूनम को चाँद गगन बाँसुरी बजाये श्यामसुन्दर सुखकारी कंकण किंकिंणी कलाप, गोपीजन मन उमंग मंडल बीच श्याम संग, राधा सुकुमारी बाजे मृदंग ताल, छनन छनन नूपुर-ध्वनि वृन्दावन यमुना-तट, शोभा प्रियकारी