Meera Lago Rang Hari
हरि से प्रीति ‘मीराँ’ लागो रंग हरी, और न रँग की अटक परी चूड़ो म्हाँरे तिलक अरु माला, सील बरत सिणगारो और सिंगार म्हाँरे दाय न आवे, यो गुरू ज्ञान हमारो कोई निंदो कोई बिंदो म्हे तो, गुण गोबिंद का गास्याँ जिण मारग म्हाँरा साध पधारौ, उण मारग म्हे जास्याँ चोरी न करस्याँ, जिव न […]
Man Lago Mero Yar Fakiri Main
संतुष्टि मन लागो मेरो यार फकीरी में जो सुख पाओ राम-भजन में, सो सुख नाहिं अमीरी में भला-बुरा सबका सुन लीजै, करि गुजरान गरीबी में प्रेमनगर में रहनि हमारी, भलि बन गई सबूरी में हाथ में कूँड़ी बगल में सोटा, चारो दिसा जगीरी में आखिर यह तन खाक मिलेगा, कहाँ फिरत मगरूरी में कहत ‘कबीर’ […]