Ram Krishna Kahiye Uthi Bhor
राम कृष्ण चरित्र राम कृष्ण कहिये उठि भोर श्री राम तो धनुष धरे हैं, श्री कृष्ण हैं माखन चोर उनके छत्र चँवर सिंहासन, भरत, शत्रुघन, लक्ष्मण जोर इनके लकुट मुकुट पीतांबर, नित गैयन सँग नंद-किशोर उन सागर में सिला तराई, इन राख्यो गिरि नख की कोर ‘नंददास’ प्रभु सब तजि भजिए, जैसे निरखत चंद चकोर […]
Avatarit Hue Bhagwan Krishna
श्रीकृष्ण प्राकट्य अवतरित हुए भगवान कृष्ण, पृथ्वी पर मंगल छाया है बज गई स्वर्ग की दुन्दुभियाँ,चहुँ दिशि आनन्द समाया है था गदा, चक्र अरु कमल, शंख, हाथों में शोभित बालक के श्रीवत्स चिन्ह वक्षःस्थल पे, कटि में भी पीताम्बर झलके वसुदेव देवकी समझ गये, यह परमपुरुष पुरुषोत्तम है जो पुत्र रूप में प्राप्त हुआ, साक्षात् […]
Shri Krishna Ka Virah
श्री चैतन्य महाप्रभु श्री कृष्ण का विरह आपको आठों ही प्रहर सताये श्री महाप्रभु चैतन्य वही जो राधा भाव दिखाये राधा कान्ति कलेवर अनुपम, भक्तों के मन भाये रोम रोम में हाव भाव में, गीत कृष्ण के गाये प्रेमावतार महाप्रभु अन्तस में, राधावर छाये ओत प्रोत है कृष्ण-भक्ति से, जन-मन वही लुभाये
Anand Kand Shri Krishna Chandra
श्रीकृष्ण सौन्दर्य आनन्दकन्द श्री कृष्णचन्द्र, सिर मोर-मुकुट की छवि न्यारी मुसकान मधुर चंचल चितवन, वह रूप विलक्षण मनहारी कटि में स्वर्णिम पीताम्बर है, शोभा अपूर्व अति सुखकारी जो कामकला के सागर हैं, नटनागर यमुना-तट चारी वंशी की मधुर ध्वनि करते, संग में श्री राधा सुकुमारी गोवर्धन धारण की लीला, वर्णनातीत अति प्रियकारी कालियानाग के मस्तक […]
Shri Krishna Chandra Madhurati Madhur
श्रीकृष्ण का माधुर्य श्री कृष्णचन्द्र मधुरातिमधुर है अधर मधुर मुख-कमल मधुर, चितवनी मधुर रुचि-वेश मधुर है भृकटि मधुर अरु तिलक मधुर, सिर मुकुट मधुर कच कुटिल मधुर है गमन मधुर अरु नृत्य मधुर, नासिका मधुर नखचन्द्र मधुर है रमण मधुर अरु हरण मधुर, महारास मधुर संगीत मधुर है गोप मधुर, गोपियाँ मधुर, संयोग मधुर उद्गार […]
Ek Hi Swaroop Radhika Krishna
युगल सरकार एक ही स्वरूप राधिका कृष्ण, लीला रस हेतु ही पृथक रूप एक प्राण हैं श्री राधा मोहन, अरु प्रीति परस्पर भी अनूप राधा रानी है पूर्ण शक्ति, गोवर्धन-धारी शक्तिमान श्रीकृष्ण पुकारे राधा को, मुरली में गूँजे वही तान आह्लाद रूपिणी श्री राधा, श्री विग्रह उनका चपला सा मुख की सुंदरता अद्वितीय और हाव-भाव […]
Shri Krishna Kahte Raho
श्रीकृष्ण-भक्ति श्री कृष्ण कहते रहो, अमृत-मूर्ति अनूप श्रुति शास्त्र का मधुर फल, रसमय भक्ति स्वरूप कर चिन्तन श्रीकृष्ण का, लीलादिक का ध्यान अमृत ही अमृत झरे, करुणा प्रेम-निधान कण-कण में जहाँ व्याप्त है, श्यामा श्याम स्वरूप उस वृन्दावन धाम की, शोभा अमित अनूप जप-तप-संयम, दान, व्रत, साधन विविध प्रकार मुरलीधर से प्रेम ही, निगमाम का […]
Kab Aaoge Krishna Murare
प्रतीक्षा कब आओगे कृष्ण मुरारे, आस में बैठी पंथ निहारूँ सूरज डूबा साँझ भी आई, दर पे खड़ी हूँ आस लगाये रात हुई और तारे निकले, कब आओगे कृष्ण मुरारे आधी रात सुनसान गली है, मैं हूँ अकेली गगन में तारे जागा सूरज सोए तारे, कब आओगे कृष्ण मुरारे भोर भई जग सारा जागा, हुआ […]
Shri Krishna Chandra Sab Main Chaye
सर्वेश्वर श्रीकृष्ण श्री कृष्णचन्द्र सब में छाये जड़ चेतन प्राणीमात्र तथा कण कण में वही समाये जो महादेव के भक्त करे, गुणगान स्तुति उसमें ये विघ्नेश्वर गणपति रूप धरे, विघ्नों का नाश कर देते हम दुर्गाजी का पाठ करें, होते प्रसन्न उससे भी ये सद्बुद्धि देते सूर्यदेव, उनमें भी प्रकाशित तो ये चाहे पूजें किसी […]
Kar Chintan Shri Krishna Ka
श्री राधाकृष्ण कर चिन्तन श्रीकृष्ण का, राधावर का ध्यान अमृत ही अमृत झरे, करुणा-प्रेम निधान जप तप संयम दान व्रत, साधन विविध प्रकार श्रीकृष्ण से प्रेम ही, निगमागम का सार कृष्ण कृष्ण कहते रहो, अमृत-मूरि अनूप श्रुति-शास्त्र का मधुर फल, रसमय भक्ति स्वरूप श्रीराधा की भक्ति में निहित प्यास का रूप आदि अन्त इसमें नहीं, […]