Kaho Tumh Binu Grah Mero Kon Kaj
अनुरोध कहौ तुम्ह बिनु गृह मेरो कौन काज ? विपिन कोटि सुरपुर समान मोको, जो प्रिय परिहर् यो राज वलकल विमल दुकूल मनोहर, कंदमूल – फल अमिय अनाज प्रभु पद कमल विलोकहुँ छिन छिन इहितें, अधिक कहा सुख साज हो रहौ भवन भोग लोलुप ह्वै, पति कानन कियो मुनि को साज ‘तुलसिदास’ ऐसे विरह वचन […]
Tum Taji Aur Kon Pe Jau
परम आश्रय तुम तजि और कौन पै जाऊँ काके द्वार जाइ सिर नाऊँ, पर हथ कहाँ बिकाऊँ ऐसे को दाता है समरथ, जाके दिये अघाऊँ अंतकाल तुम्हरै सुमिरन गति, अनत कहूँ नहिं पाऊँ भव-समुद्र अति देखि भयानक, मन में अधिक डराऊँ कीजै कृपा सुमिरि अपनो प्रन, ‘सूरदास’ बलि जाऊँ
Tum Pe Kon Dehave Gaiya
गौ-दोहन तुम पै कौन दुहावै गैया लिये रहत कर कनक दोहनी, बैठत हो अध पैया इत चितवत उत धार चलावत, एहि सखियो है मैया ‘सूरदास’ प्रभु झगरो सीख्यौ, गोपिन चित्त चुरैया
Bujhat Shyam Kon Tu Gori
राधा कृष्ण भेंट बूझत श्याम कौन तूँ गोरी कहाँ रहति काकी है बेटी, देखी नहीं कहूँ ब्रज खोरी काहे को हम ब्रजतन आवति, खेलति रहति आपनी पोरी सुनति रहति श्रवननि नंद ढोटा, करत रहत माखन दधि-चोरी तुम्हरो कहा चोरि हम लैहैं, खेलन चलो संग मिलि जोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, बातनि भुरइ राधिका भोरी
Mo Sam Kon Kutil Khal Kami
शरणागति मो सम कौन कुटिल खल कामी जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ, ऐसौ नोनहरामी भरि भरि उदर विषय कों धावौं, जैसे सूकर ग्रामी हरिजन छाँड़ि हरी-विमुखन की, निसिदिन करत गुलामी पापी कौन बड़ो है मोतें, सब पतितन में नामी ‘सूर’ पतित को ठौर कहाँ है, सुनिए श्रीपति स्वामी
Tum Bin Meri Kon Khabar Le Govardhan Giridhari
लाज तुम बिन मोरी कौन खबर ले, गोवर्धन गिरधारी मोर-मुकुट पीतांबर सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी द्रुपद सुता की लाज बचाई, राखो लाज हमारी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कमल बलिहारी
Tan Ki Dhan Ki Kon Badhai
अन्त काल तन की धन की कौन बड़ाई, देखत नैनों में माटी मिलाई अपने खातिर महल बनाया, आपहि जाकर जंगल सोया हाड़ जले जैसे लकरि की मोली, बाल जले जैसे घास की पोली कहत ‘ कबीर’ सुनो मेरे गुनिया, आप मरे पिछे डूबी रे दुनिया