Nand Bhawan Ko Bhushan Bhai

कृष्ण कन्हैया नंद भवन को भूषन भाई अतुलित शोभा स्याम सुँदर की नवनिधि ब्रज में छाई जसुमति लाल वीर हलधर को राधारमन परम सुखदाई काल को काल, परम् ईश्वर को सामर्थ अतुल न तोल्यो जाई ‘नन्ददास’ को जीवन गिरिधर, गोकुल गाँव को कुँवर कन्हाई  

Vivek Prapt Hai Manav Ko

विवेक विवेक प्राप्त है मानव को क्या तो अनुचित अथवा कि उचित, यह समझ नहीं पशु पक्षी को जो सदुपयोग करले इसका, उसका तो जीवन सफल हुआ वरना तो पशु से भी निकृष्ट, मानव का जीवन विफल हुआ हम अपने और दूसरों का, कर पायें भला विवेक यही तब तत्वज्ञान में हो परिणित, सर्वज्ञ प्रभु […]

Jaise Tum Gaj Ko Paw Chudayo

भक्त के भगवान जैसे तुम गज को पाँव छुड़ायौ जब जब भीर परी भक्तन पै, तब तब आइ बचायौ भक्ति हेतु प्रहलाद उबार्यो, द्रौपदी को चीर बढ़ायौ ‘सूरदास’ द्विज दीन सुदामा, तिहिं दारिद्र नसायौ

Antaryami Ko Pahchano

अन्तरवृत्ति अन्तर्यामी को पहचानो मन में होय उजेरा क्रोध लोभ मद अहंकार ने, मानव जीवन घेरा हुए मोह से ग्रस्त सभी जन, छाया घना अँधेरा यौवन बीता, समय जा रहा, किन्तु विवेक न जागा जिसने संग किया संतों का, तमस हृदय का भागा

Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko

कर्म निष्ठा नर हो न निराश, करो मन को, बस कर्म करो पुरुषार्थ करो आ जाय समस्या जीवन में, उद्देश्य हमारा जहाँ सही साहस करके बढ़ते जाओ, दुष्कर कोई भी कार्य नहीं संघर्ष भरा यहा जीवन है, आशा को छोड़ो नहीं कभी मन में नारायण नाम जपो, होओगे निश्चित सफल तभी जब घिर जाये हम […]

Shat Shat Pranam Prabhu Raghav Ko

राघव को प्रणाम शत शत प्रणाम प्रभु राघव को कोई ऊँच नीच का भेद नहीं, सब लोग ही प्रेम करे उनको जो राजपाट को त्याग रहे, चौदह वर्षों तक वन में ही शबरी के जूठे बेर खाय, अरु गले लगाये केवट को वियोग हुआ वैदेही से, कई कष्ट सहे भी तुमने ही जब राक्षस रावण […]

Deh Dhare Ko Karan Soi

अभिन्नता देह धरे कौ कारन सोई लोक-लाज कुल-कानि न तजिये, जातौ भलो कहै सब कोई मात पित के डर कौं मानै, सजन कहै कुटुँब सब सोई तात मात मोहू कौं भावत, तन धरि कै माया बस होई सुनी वृषभानुसुता! मेरी बानी, प्रीति पुरातन राखौ गोई ‘सूर’ श्याम नागारिहि सुनावत, मैं तुम एक नाहिं हैं दोई

Apane Ko Sukhi Banaye Ham

अनासक्ति अपने को सुखी बनायें हम कामना पूर्ति जब नहीं होती, तत्काल क्रोध तब आ जाता जब खो देते विवेक तभी, संतुलन नहीं तब रह पाता हम अनासक्त हो कर्म करें, तो अहम् भाव ही मिट जाये प्रभु के हित होए कार्य तभी, कर्तापन भाव न रह पाये होए सहिष्णुता प्रेम भाव, ईर्ष्या व द्वेष […]

Nirvishayi Banayen Man Ko Ham

प्रबोधन निर्विषयी बनायें मन को हम चिन्तन हो बस परमात्मा का, हो सुलभ तभी जीवन में राम मन और इन्द्रियाँ हो वश में, संयम सेवा का संग्रह हो अनुकूल परिस्थिति आयेगी, सब कार्य स्वतः मंगलमय हो उत्पन्न कामना से होते, सारे ही पाप और विपदा जब अचल शांति हो प्राप्त तभी, मानव को रहे न […]

Shri Ram Ko Maa Kaikai Ne

राम वनगमन श्रीराम को माँ कैकयी ने दिया जभी वनवास उनके मुख पर कहीं निराशा का, न तभी आभास मात कौसल्या और सुमित्रा विलपे, पिता अचेत उर्मिला की भी विषम दशा थी, त्यागे लखन निकेत जटा बनाई वल्कल पहने, निकल पड़े रघुनाथ जनक-नन्दिनी, लक्ष्मण भाई, गये उन्हीं के साथ आज अयोध्या के नर नारी, विह्वल […]