Ja Rahe Pran Dhan Mathura Ko
मथुरा प्रवास जा रहे प्राणधन मथुरा को राधा रानी हो रही व्यथित, सूझे कुछ भी नहीं उनको अंग अंग हो रहे शिथिल, और नीर भरा नयनों में आर्त देख राधा को प्रियतम, स्वयं दुःखी है मन में प्रिया और प्यारे दोनों की, व्याकुल स्थिति ऐसी दिव्य प्रेम रस की यह महिमा, उपमा कहीं न वैसी […]
Main Bhul Gai Sakhi Apne Ko
गोपी की प्रीति मैं भूल गई सखि अपने को नित्य मिलन का अनुभव करती, जब से देखा मोहन को प्रात: संध्या दिवस रात का, भान नहीं रहता मुझको सपने में भी वही दिखता, मन की बात कहूँ किसको कैसी अनुपम मूर्ति श्याम की, कैसा मनहर उसका रूप नयन हुए गोपी के गीले, छाया मन सौन्दर्य […]
Kaha Sukh Braj Ko So Sansar
ब्रज-महिमा कहाँ सुख ब्रज कौ सौ संसार कहाँ सुखद बंसी-वट जमुना, यह मन सदा विचार कहाँ बन धाम कहाँ राधा सँग, कहाँ संग ब्रज वाम कहाँ विरह सुख बिन गोपिन सँग, ‘सूर’ स्याम मन साम
Kou Ya Kanha Ko Samujhawe
नटखट कन्हैया कोउ या कान्हा को समुझावै कैसो यह बेटो जसुमति को, बहुत ही धूम मचावै हम जब जायँ जमुन जल भरिबे घर में यह घुस जावै संग सखा मण्डली को लै यह, गोरस सबहिं लुटावै छींके धरी कमोरी को सखि, लकुटी सो ढुरकावै आपु खाय अरु धरती पर, गोरस की कीच बनावै जब हम […]
Jiwan Ko Yagya Banaye Ham
यज्ञ जीवन को यज्ञ बनायें हम निष्काम भाव से ईश्वर को, जब कर्म समर्पित हो जाते तो अहं वासना जल जाते, मुक्ति का दान वही देते हम हवन कुण्ड में समिधा से अग्नि को प्रज्वलित करते आहुति दे घृत वस्तु की, वेदों में यज्ञ इसे कहते जब प्राण बचाने परेवा का, राजा शिवि जो अपने […]
Maiya Ne Bandha Lala Ko
माखन चोर मैया ने बाँधा लाला को नहीं माखन की चोरी छोड़ी, तब उसका शिक्षा देने को जसुमति तो बाँध नहीं पाई, थक करके आखिर बैठ गई इतना कठोर यह काम किया मन में भारी वे पछताई गोपीजन सुन दौड़ी आई हा हा कर सभी दुखी थीं मैया से कान्हा स्वतः बंधे आंसू से भरी […]
Kaha Pardesi Ko Patiyaro
वियोग कहापरदेसी कौ पतियारौ प्रीति बढ़ाई चले मधुबन कौ, बिछुरि दियौ दुख भारौ ज्यों जल-हीन मीन तरफत त्यौं, व्याकुल प्राण हमारौ ‘सूरदास’ प्रभु गति या ब्रज की, दीपक बिनु अँधियारौ
Fag Khelan Ko Aaye Shyam
होली फाग खेलन को आये श्याम मुग्ध हुई ब्रज-वनिता निरखत, माधव रूप ललाम पीत वसन भूषण अंगो पर , सचमुच सबहिं सुहाये तभी श्याम के संग सखा सब, अबीर-गुलाल उड़ाये सखियों ने घेरा मोहन को, केसर रंग लगाया चौवा चंदन और अरगजा, भर भर मूठ चलाया रीझ रहीं सखियाँ मोहन पर, मन भर आनंद आया […]
Tu Apne Ko Pahchan Re
जीवात्मा तूँ अपने को पहचान रे ईश्वर अंश जीव अविनाशी, तूँ चेतन को जान रे घट घट में चेतन का वासा, उसका तुझे न भान रे परम् ब्रह्म का यह स्वरूप है, जो यथार्थ में ज्ञान रे रक्त मांस से बनी देह यह, जल जाती श्मशान रे वे विश्व वद्य वे जग-निवास, कर मन में […]
Mrig Naini Ko Pran Naval Rasiya
रसिया मृगनैनी को प्रान नवल रसिया, मृगनैनी बड़ि-बड़ि अखिंयन कजरा सोहे, टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया अतलस को याकें लहेंगा सोहे, प्यारी झुमक मेरे मन बसिया छोटी अंगुरिन मुँदरी सोहे, बीच में आरसी मन बसिया बाँह बड़ो बाजूबन्द सोहे, हियरे में हार दीपत छतिया ‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखत, सबै छोड़ ब्रज में बसिया रंग […]