Prabhuji Main Picho Kiyo Tumharo
चरणाश्रय प्रभुजी मैं पीछौ कियौ तुम्हारौ तुम तो दीनदयाल कहावत, सकल आपदा टारौ महा कुबुद्धि, कुटिल, अपराधी, औगुन भर लिये भारौ ‘सूर’ क्रूर की यही बीनती, ले चरननि में डारौ
Van Main Ruchir Vihar Kiyo
वन विहार वन में रुचिर विहार कियो शारदीय पूनम वृन्दावन, अद्भुत रूप लियो धरी अधर पे मुरली मोहन स्वर लहरी गुंजाई ब्रज बालाएँ झटपट दौड़ी, सुधबुध भी बिसराई छलिया कृष्ण कहे सखियों को, अनुचित निशि में आना लोक लाज मर्यादा हेतु, योग्य पुनः घर जाना अनुनय विनय करें यों बोली, ‘तुम सर्वस्व हमारे’ ‘पति-पुत्र घर […]