Kisori Karat Keli Aangal Main
किसोरी की क्रीड़ा किसोरी करत केलि आँगन में चलत फिरत छम छम आँगन में, होत मगन अति मन में कीरति की है लाड़-लड़ैती, बरसत रस छन छन में वृषभानू की तो मनभानी, पगी हुई रसघन में प्रीति-रीति की प्रतिमा पूरी, उपमा नहिं त्रिभुवन में मेरे तो तन-मन की स्वामिनि, लगी लगन चरणन में