Thara Darsan Kis Vidh Paaun Sanwariya
दरस लालसा थारा दरसन किस विध पाऊँ साँवरिया, औगुण की मैं खान बाल अवस्था खेल गँवाई, तरुणाई अभिमान यूँ ही जीवन खोय दियो मैं, डूब्यो झूठी शान लग्यो रह्यो स्वारथ में निस दिन, सुख वैभव की बान मात-पिता गुरु से मुख मोड्यो, कियो नहीं सनमान साँच झूठ कर माया जोड़ी थारो कियो न गान साधू-संगत […]