Krishna Ghar Nand Ke Aaye Badhai Hai Badhai Hai
श्रीकृष्ण प्राकट्य कृष्ण घर नंद के आये, बधाई है बधाई है करो सब प्रेम से दर्शन, बधाई है बधाई है भाद्र की अष्टमी पावन में प्रगटे श्याम मनमोहन सुखों की राशि है पाई, बधाई है बधाई है मुदित सब बाल, नर-नारी, चले ले भेंट हाथों में देख शोभा अधिक हर्षित, बधाई है बधाई है कृष्ण […]
Nirbal Ke Pran Pukar Rahe Jagdish Hare
जगदीश स्तवन निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे साँसों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे आकाश हिमालय सागर में, पृथ्वी पाताल चराचर में ये शब्द मधुर गुंजार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे जब दयादृष्टि हो जाती है, जलती खेती हरियाती है इस आस पे जन उच्चार रहे, जगदीश हरे जगदीश […]
Samast Srushti Jis Ke Dwara
बुद्धियोग समस्त सृष्टि जिसके द्वारा, सर्वात्मा ईश्वर एक वही सब लोक महेश्वर शक्तिमान, सच्चिदानन्दमय ब्रह्म वही जो कर्म हमारे भले बुरे, हो प्राप्त शुभाशुभ लोक हमें उत्तम या अधम योनियाँ भी, मिलती हैं तद्नुसार हमें हम शास्त्र विहित आचरण करें, शास्त्र निषिद्ध का त्याग करें सांसारिक सुख सब नश्वर है, भगवत्प्राप्ति का यत्न करें निष्काम […]
Braj Ke Birahi Log Dukhare
वियोग ब्रज के बिरही लोग दुखारे बिन गोपाल ठगे से ठाढ़े, अति दुरबल तनु कारे नन्द जसोदा मारग जोवत, नित उठि साँझ सकारे चहुँ दिसि ‘कान्ह कान्ह’ करि टेरत, अँसुवन बहत पनारे गोपी गाय ग्वाल गोसुत सब, अति ही दीन बिचारे ‘सूरदास’ प्रभु बिन यों सोभित, चन्द्र बिना ज्यों तारे
Main Giridhar Ke Rang Rati
गिरिधर के रंग मैं गिरिधर के रंग राती पचरँग चोला पहर सखी मैं, झिरमिट रमवा जाती झिरमिट में मोहि मोहन मिलिग्यो, आनँद मंगल गाती कोई के पिया परदेस बसत हैं, लिख-लिख भेजें पाती म्हारे पिया म्हारे हिय में बसत हैं, ना कहुँ आती जाती प्रेम भट्ठी को मैं मद पीयो, छकी फिरूँ दिन राती ‘मीराँ’ […]
Gayon Ke Hit Ka Rahe Dhyan
गो माता गायों के हित का रहे ध्यान गो-मांस करे जो भी सेवन, निर्लज्ज व्यक्ति पापों की खान गौ माँ की सेवा पुण्य बड़ा, भवनिधि से करदे हमें पार वेदों ने जिनका किया गान, शास्त्र पुराण कहे बार-बार गौ-माता माँ के ही सदृश, वे दु:खी पर हम चुप रहते माँ की सेवा हो तन मन […]
Prabal Prem Ke Pale Padkar
भक्त के भगवान् प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा अपना मान भले टल जाये, भक्त का मान न टलते देखा जिनके चरण-कमल कमला के, करतल से न निकलते देखा उसको ब्रज करील कुंजन के, कण्टक पथ पर चलते देखा जिनकी केवल कृपा दृष्टि से, सकल सृष्टि को पलते देखा उनको गोकुल […]
Ye Din Rusibe Ke Nahi
दर्शन की प्यास ये दिन रूसिबै के नाहीं कारी घटा पवन झकझोरै, लता तरुन लपटाहीं दादुर, मोर, चकोर, मधुप, पिक, बोलत अमृत बानी ‘सूरदास’ प्रभु तुमरे दरस बिन, बैरिन रितु नियरानी
Main To Sanware Ke Rang Rachi
प्रगाढ़ प्रीति मैं तो साँवरे के रँग राची साजि सिंगार बाँधि पग घुँघरू, लोक-लाज तजि नाची गई कुमति लई साधु की संगति, स्याम प्रीत जग साँची गाय गाय हरि के गुण निस दिन, काल-ब्याल सूँ बाँची स्याम बिना जग खारो लागत, और बात सब काँची ‘मीराँ’ गिरिधर-नटनागर वर, भगति रसीली जाँची
Giridhari Ke Rang Mainrachi
प्रीति माधुरी गिरिधारी के रंग में राची सुध बुध भूल गई मैं तो सखि, बात कहूँ मैं साँची मारग जात मिले मोहि सजनी, मो तन मुरि मुसकाने मन हर लियो नंद के नंदन, चितवनि माँझ बिकाने जा दिन ते मेरी दृष्टि परी सखि, तब से रह्यो न जावै ऐसा है कोई हितू हमारो, श्याम सों […]