Dushton Ka Sang Na Kabhi Karen
दुष्टों का संग दुष्टों का संग न कभी करें आचार जहाँ हो निंदनीय, मन में वह कलुषित भाव भरें दुष्कर्मी का जहँ संग रहे, सद्गुण की वहाँ न चर्चा हो क्रोधित हो जाता व्यक्ति तभी, विपरीत परिस्थिति पैदा हो होता अभाव सद्बुद्धि का, मानवता वहाँ न टिक पाती अभिशप्त न हो मानव जीवन, अनुकम्पा प्रभु […]
Nana Vidhi Lila Karen Shyam
भक्त के भगवान नाना विधि लीला करें स्याम श्री हरि की शरण गजेन्द्र गया, जभी ग्राह ने जकड़ लिया विनती को सुन फौरन पहुँचे और ग्राह से मुक्त किया द्रुपत सुता का चीर खिंच रहा बोली-‘आस तिहारी’ लिया वस्त्र अवतार बचाई, लाज तभी गिरधारी नहीं उठाऊँ शस्त्र युद्ध में, यह केशव की बान तोड़ प्रतिज्ञा […]
Pratah Sandhya Nit Manan Karen
आत्म चिन्तन प्रातः संध्या नित मनन करें मैं अंश ही हूँ परमात्मा का, सच्चिदानन्द मैं भी तो हूँ मैं राग द्वेष में लिप्त न हूँ, मैं अजर अमर आनन्दमय हूँ सुख-दुख में समता रहे भाव, मैं निर्मल हूँ अविनाशी हूँ इन्द्रिय-विषयों से दूर नित्य, मैं शुद्ध बुद्ध अरु शाश्वत हूँ
Sharnagat Par Shiv Kripa Karen
मृत्युंजय शिव शरणागत पर शिवकृपा करें, रोगों से मुक्ति प्रदान करें मृत्यु तो निश्चित है परन्तु, हम पूर्णायु को प्राप्त करें स्वाभाविक मानव की इच्छा, वह स्वस्थ रहे प्रभु कष्ट हरें ‘मृत्युंजय मंत्र’ को सिद्ध करे, शिव उसको स्वास्थ्य प्रदान करें विधिपूर्वक निश्चित संख्या में, जो इसी मंत्र का जाप करे मृत्युंजय शिव का भजन […]
Shastriya Vidhan Se Karma Karen
पाप-निवारण शास्त्रीय विधान से कर्म करे, उन कर्मों को ही कहें धर्म जिनका निषेध है वेदों में, कहलाते सारे वे अधर्म अन्तर्यामी सर्वज्ञ प्रभु, करनी को देख रहे सबकी पापों का प्रायश्चित जो न करे, तो दण्डनीय गति हो उनकी कल्याणकारी हरि के कीर्तन, जो कर पाये पूरे मन से पापों का निवारण हो जाये, […]
Sakhi Mohan Sang Mouj Karen
फागुन का रंग सखि, मोहन सँग मौज करें फागुन में मोहन को घरवाली बना के, गीत सभी मिल गाएँ री, फागुन में पकड़ श्याम को गलियन डोलें, ताली दे दे नाच नचाएँ मस्ती को कोई न पार आज, फागुन में हम रसिया तुम मोहन गोरी, कैसी सुन्दर बनी रे जोरी जोरी को नाच नचाओ रे, […]
Aarti Karen Bhagwat Ji Ki
श्रीमद्भागवत आरती आरती करें भागवतजी की, पंचम वेद से महा पुराण की लीलाएँ हरि अवतारों की, परम ब्रह्म भगवान कृष्ण की कृष्ण वाङ्मय विग्रह रूप, चरित भागवत अमृत पीलो श्रवण करो तरलो भव-कूपा, हरि गुण गान हृदय से कर लो कथा शुकामृत मन को भाये, शुद्ध ज्ञान वैराग्य समाये लीला रसमय प्रेम जगाये, भक्ति भाव […]