Yah Lila Sab Karat Kanhai
अन्नकूट यह लीला सब करत कन्हाई जेंमत है गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीति लगाई इत गोपिनसों कहत जिमावो, उत आपुन जेंमत मन लाई आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहुँ दिसि तें सोभा अधिकाई अंबर चढ़े देव गण देखत, जय ध्वनि करत सुमन बरखाई ‘सूर’ श्याम सबके सुखकारी, भक्त हेतु अवतार सदाई
Vipin So Aawat Bhawan Kanhai
वन वापसी विपिन सों आवत भवन कन्हाई संग गोप गौअन की टोली और सुघड़ बल भाई गोधूली बेला अति पावन, ब्रज रज वदन सुहाई नील कमल पै जनु केसर की, सोहत अति सुखराई साँझ समय यह आवन हरि की, निरखहिं लोग लुगाई सो छबि निरखन को हमरे हूँ, नयना तरसहिं माई
Tore Ang Se Ang Mila Ke Kanhai
प्रेम दिवानी तोरे अंग से अंग मिला के कन्हाई, मैं हो गई काली मल-मल धोऊँ पर नहीं छूटे, ऐसी छटा निराली तेरा तन काला और मन काला है, नजर भी तेरी काली नैनों से जब नैन मिले तो, हो गई मैं मतवाली तू जैसा तेरी प्रीत भी वैसी, एक से एक निराली करूँ लाख जतन […]