Kalindi Kamniy Kulgat
श्री कृष्ण माधुर्य कालिन्दी कमनीय कूलगत, बालु सुकोमल ब्रज बाथिनि महँ बिछी रहे, बनिके तहँ निश्चल तापै विहरत श्याम चरण, मनि नूपुर धारे परम मृदुल मद भरे बजे, जहाँ जहाँ सुकुमारे अब टक ब्रजरज मध्य में, अंकित जो पदचिन्ह हैं तिनि चरननि वन्दन करौं, जो सबही तें भिन्न हैं केशपाश अति सघन, वरन कारे घुँघरारे […]