Kaho Tumh Binu Grah Mero Kon Kaj
अनुरोध कहौ तुम्ह बिनु गृह मेरो कौन काज ? विपिन कोटि सुरपुर समान मोको, जो प्रिय परिहर् यो राज वलकल विमल दुकूल मनोहर, कंदमूल – फल अमिय अनाज प्रभु पद कमल विलोकहुँ छिन छिन इहितें, अधिक कहा सुख साज हो रहौ भवन भोग लोलुप ह्वै, पति कानन कियो मुनि को साज ‘तुलसिदास’ ऐसे विरह वचन […]