Kahiyo Syam So Samjhai
श्याम की याद कहियौ स्याम सौ समझाइ वह नातौ नहि मानत मोहन, मनौ तुम्हारी धाइ बारहिं बार एकलौ लागी, गहे पथिक के पाँइ ‘सूरदास’ या जननी को जिय, राखै बदन दिखाइ
Koi Kahiyo Re Prabhu Aawan Ki
विरह व्यथा कोई कहियौ रे प्रभु आवन की, आवन की मन भावन की आप न आवै, लिख नहिं भेजै, बान पड़ी ललचावन की ए दोऊ नैन कह्यो नहिं माने, नदियाँ बहे जैसे सावन की कहा करूँ कछु नहिं बस मेरो, पाँख नहीं उड़ जावन की ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, चेरी भई तेरे दामन […]